69,000 सहायक शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला मामले में गुरुवार को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में बहस हुई। अभ्यर्थियों की तरफ से वकील सुदीप सेठ ने जस्टिस पंकज भाटिया के सामने पक्ष रखा। वहीं सरकार की तरफ से आए वकील संजय भसीन सिर्फ बैठे रहे। उन्होंने सरकार का कोई पक्ष नहीं रखा।
वकील का दावा- 27% नहीं, बल्कि 3.80% मिला आरक्षण
बहस के दौरान सुदीप सेठ ने जस्टिस भाटिया से कहा, “इस भर्ती में OBC वर्ग को 27% नहीं, बल्कि 3.80% ही आरक्षण दिया गया। SC वर्ग को 21 की जगह 16.2% आरक्षण दिया गया। इस तरह से इस भर्ती में कुल 19,000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला किया गया।”
सुदीप ने कहा, “हर भर्ती में एक मूल चयन सूची बनाई जाती है। लेकिन इस भर्ती में यह सूची न बनाकर जिला आवंटन सूची बनाकर भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया गया। इससे अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटेगरी और सब-कैटेगरी को छुपा लिया गया। बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का सीधा उल्लंघन किया गया।”
यह फोटो जनवरी 2021 की है, जब अभ्यर्थियों ने लखनऊ के ईको गार्डन में आंदोलन किया गया था।
कोर्ट में करीब 25 मिनट तक बहस चली। पीड़ित पक्ष की तरफ से वकील ने कहा, “सरकार भी मानती है कि इस भर्ती में आरक्षण का घोटाला हुआ। इसलिए वह 6800 पद देकर निपटारा करना चाहती है। लेकिन यह घोटाला तो 19,000 सीट का है।”
सरकारी वकील संजय भसीन के पास कोर्ट के सामने कोई जवाब नहीं था। जस्टिस पंकज भाटिया ने कहा, “अगर आपको कुछ कहना है, तो सरकार की तरफ से लिखित में हलफनामा देकर पक्ष रखें। ताकि आरक्षण घोटाले में सरकार की स्थिति स्पष्ट हो सके और पता चल सके कि सरकार का आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को न्याय देने के प्रति क्या रुख है?”
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हुई भर्ती, इसलिए नहीं बढ़ सकते पद
यह भर्ती शिक्षामित्रों के समायोजन को रद्द करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश से शुरू हुई थी। इसलिए इसमें अतिरिक्त पद नहीं जोड़े जा सकते। अभ्यर्थियों का कहना है कि दो साल से अयोग्य अभ्यर्थी टीचर बनकर सैलरी ले रहे हैं, न तो उन्हें बाहर किया गया और न ही उनकी सैलरी रोकी गई।
जज ने कहा- सरकार तय करे कि उसे क्या करना है
जस्टिस पंकज भाटिया ने सरकारी वकील से कहा, ”इस भर्ती में जो आरक्षण घोटाला हुआ है, उसके लिए आप जिम्मेदारी तय करें। आप यह तय करें कि कोर्ट में आए लोगों को किस तरह से न्याय मिलेगा। अगर कोर्ट में आए लोगों को आप न्याय नहीं देते हैं, तो ऐसी स्थिति में हमको ही न्याय करना पड़ेगा क्योंकि यह सारी स्थिति आपके ही जरिए ही हुई। क्योंकि जिन अभ्यर्थियों को शिक्षक होना चाहिए वे आज गलत चयन प्रक्रिया के चलते कोर्ट में न्याय की मांग कर रहे हैं।”
19 अक्टूबर से रोज होगी सुनवाई
कोर्ट ने सरकारी वकील से कहा, “हम इस भर्ती में जो आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थी याची बनकर कोर्ट में आए हैं, उनको निश्चित रूप से न्याय देंगे। आपको सरकार की तरफ से जो भी कुछ कहना या डॉक्युमेंट पेश करना है, वह 18 अक्टूबर तक पेश कर दीजिए। 19 अक्टूबर से हर दिन मामले की सुनवाई होगी।”
कोर्ट के रुख से अभ्यर्थियों में उम्मीद जगी है। उन्हें भरोसा है कि इस दीपावली से पहले उन्हें न्याय मिल जाएगा। पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप और संरक्षक भास्कर सिंह यादव का कहना है, ”सरकार या तो इस भर्ती में हुए 19,000 आरक्षण घोटाले की पूरी सीट आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को वापस करें। या फिर हाईकोर्ट में जितने भी अभ्यर्थी याची के रूप में अपनी न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं, उन सभी को लाभ देकर इस मामले का निस्तारण करें। तभी यह मामला पूरी तरह से समाप्त हो सकता है। अन्यथा आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थी न्याय मिलने तक यह लड़ाई जारी रखेंगे।
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