दिवाली पर दीयों की खरीदारी में बीते कुछ वर्षों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। वोकल फॉर लोकल अभियान को गति मिलने का असर कुम्हारों की आमदनी पर भी दिखाई देने लगा है। इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका इलेक्ट्रिक सोलर चाक की है। इससे कुम्हार कम समय में डिजाइनर दीये और मिट्टी के अन्य सामान बना रहे हैं।
सरकार की ओर से नि:शुल्क इलेक्ट्रिक सोलर चाक वितरित करने के साथ ही पूर्वांचल के करीब 13,120 लोगों को सीधे स्व-रोजगार से जोड़ा गया है। दिवाली के मौके पर दीयो की मांग बढ़ने और उसे इलेक्ट्रिक सोलर चाक से पूरा कर लेने से कुम्हारों की आमदनी के साथ ही चेहरे की मुस्कान भी बढ़ रही है।
गरीबी रेखा से नीचे वालों को फ्री में मिलता है चाक खादी और ग्रामोद्योग आयोग के उप निदेशक एवं प्रभारी रितेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्वांचल के 12 जिलों में कुम्हार सशक्तिकरण और ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत वर्ष 2016-17 से अब तक सरकार ने 3280 इलेक्ट्रिक सोलर चाक का नि:शुल्क वितरण किया है। इससे 13,120 लोगों को घर बैठे रोजगार मिला है।
इलेक्ट्रिक सोलर चाक से तैयार किए गए मिट्टी के दीये।
इस चाक की कीमत 20 हजार रुपए है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक सोलर चाक नि:शुल्क दिया जाता है। इसके अलावा गैर बीपीएल को कीमत की 10 प्रतिशत के भुगतान पर दिया जाता है।
परिवार के सभी सदस्य काम कर लेते हैं वाराणसी के कुम्हार और मास्टर ट्रेनर बिहारी प्रजापति व विकास प्रजापति ने बताया कि इलेक्ट्रिक सोलर चाक कुम्हारों के घरों में नई रोशनी लेकर आया है। हाथ से चलने वाले चाक थका देने के साथ ही बीमारी भी देते थे। पहले हाथों में जख्म के साथ ही हाथ, कंधे और सीने में दर्द रहता था, जिसके चलते ज्यादा समय आराम में निकल जाता था।
अब 10 से 12 घंटे परिवार के सभी सदस्य मिल कर काम कर लेते हैं। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक सोलर चाक उनके उत्पादन की क्षमता को करीब 6 से 7 गुना बढ़ा दिया है और आमदनी भी करीब 4 से 5 गुना बढ़ गई है। दिवाली में मिलने वाले ऑर्डर से अब कुम्हारों के घर भी रोशन हो रहे हैं।
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