महोबा (Mahoba) के जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में तांत्रिक के दो मरीजों का इलाज करते नजर आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है, तो वहीं डॉक्टरों की कार्य क्षमता पर भी सवाल उठने लगे है कि आखिर क्यों मरीज सरकारी डॉक्टरों के इलाज पर भरोसा न करके तांत्रिको से झाड़ फूंक कराने पर ज्यादा यकीन करते हैं. यहां एक नहीं बल्कि तीन तांत्रिक महिला का झाड़-फूंक से इलाज कर रहे हैं. इस महिला को बिच्छू ने काट लिया था तब उसे जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था, पर जब सरकारी डॉक्टरों के इलाज से कोई फायदा नहीं हुआ तो फिर तांत्रिकों को बुलाकर महिला का इलाज करवाया जा रहा है.
क्या है पूरा मामला?
पीड़ित महिला का कहना है कि उसे बिच्छू ने काट लिया था तो वो अस्पताल भर्ती हुई थी मगर इलाज के बाद भी उसे लाभ नहीं मिला तो दो तांत्रिक बाबाओं ने इमरजेंसी वार्ड में आकर उसका इलाज किया है. वहीं बिच्छू के काटने से चितइयन गांव निवासी रामदास भी अस्पताल पहुंचा जिसे डॉक्टर के इलाज से लाभ समझ में नहीं आया तो उसने भी तांत्रिक से इलाज करा डाला. रामदास बताता है कि अस्पताल के डॉक्टर ने आठ इंजेक्शन लगाए पर उसे आराम नहीं मिला. इंजेक्शन से ज्यादा तांत्रिक की झाड़-फूंक से सही आराम मिला है.
डॉक्टरों की जगह तांत्रिक ने किया इलाज
दरअसल, महोबा के कुलपहाड़ अंतर्गत दरियार सिंह के खुड़ा निवासी गुलाब सिंह की 22 वर्षीय पुत्री संध्या यादव को खेत में कार्य करते समय बिच्छू ने काट लिया था उसके परिजन इलाज के लिए जिला अस्पताल ले कर आए थे तो वहीं चितइयन गांव का रामदास भी बिच्छू काटने से अस्पताल में भर्ती हुआ है. जहां डॉक्टरों के इलाज से फायदा नहीं मिला तो परिजनों ने तांत्रिकों को जिला अस्पताल में बुलवा लिया और फिर तांत्रिको ने जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में महिला संध्या और रामदास को झाड़ फूंक कर इलाज करना शुरू कर दिया था. अस्पताल में मौजूद दोनों मरीजों का इलाज करने एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन तांत्रिक पहुंचे. जहां एक तरफ तांत्रिक मरीजों का अस्पताल के अंदर इलाज कर रहे थे वहीं ड्यूटी में तैनात डॉक्टर वरुण को इसकी भनक तक नहीं है. उनकी माने तो उन्हें नहीं पता कि अस्पताल में तांत्रिकों ने मरीज का इलाज किया है.
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