आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर गर्भवती और धात्री को करेंगी चिन्हित
उरई। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए एक सितंबर से‘एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर’ अभियान चलाया जाएगा। मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चलने वाले इस अभियान में गर्भावस्था और प्रसव के उपरांत महिलाओं के पोषण पर विशेष जोर दिया जाएगा। अभियान के तहत आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर गर्भवती और धात्री महिलाओं को चिन्हित कर सूचीबद्ध करेंगी, जिससे उनकी सेहत को लेकर फालोअप किया जा सके।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनडी शर्मा ने बताया कि इस अभियान का पहला चरण एक मई से 31 मई तक चला था। इसमें जागरूकता सम्बन्धी गतिविधियां हुई थी।अब एक सितंबर से 30 सितम्बर तक दूसराचरण चलाया जाएगा। जिसमें प्रत्येक गर्भवती व धात्री तक आयरन, कैल्शियम, एलबेंडाजोल, व फोलिक एसिड की उपलब्धता और दवाओं का सेवन सुनिश्चित करने का कार्य किया जाएगा। साथ ही प्रसव पूर्व जांचों तथा ससमय गोलियों के सेवन के लिए भी जागरूक किया जाएगा। अभियान में मातृ पोषण के लिए आवश्यक दवाएं निशुल्क कराई जाएंगी।
जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता रुबी ने बताया कि ‘एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर’ अभियान के तहत मिलने वाली सेवा सभी स्वास्थ्य इकाईयों, ओपीडी और आईडीपी, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी),पीएमएसएमए तथा पीएमएसएमए प्लस एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला के माध्यम से भी दी जायेगी।
अभियान के दौरान आयोजित होने वाली गतिविधियां
– प्रथम त्रैमास वाली सभी गर्भवती को फोलिक एसिड उपलब्ध कराना।
– दूसरे और तृतीय त्रैमास की सभी गर्भवती से पूर्व में दिए गए आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम की गोलियों के बारे में जानकारी लेना तथा अगले दिनों के लिए दवा उपलब्ध कराना।
– सभी गर्भवती का वजन व लंबाई लेना। इसके लिए वजन मशीन और टेप का प्रयोग किया जाए।
– पिछली प्रसवपूर्व जांच में लिए गए वजन से तुलना कर वजन में वृद्धि का आंकलन करना।
– सभी गर्भवती के पेट की जांच करना।
– उच्च जोखिम गर्भावस्था(एचआरपी) वाली महिलाओं की पहचान करना और उन्हें चिकित्सा इकाईयों पर संदर्भित करना।
– आशा, आंगनबाड़ी और एएनएम द्वारा उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं का फॉलोअप करना।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आधार पर जिले की स्थिति
प्रदेश में 22.3 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं द्वारा ही 100 दिन आयरन की गोली का सेवन किया जाता है। जबकि जिले में यह आकंड़ा 20.5 प्रतिशत है। जबकि 180 दिन तक आयरन की गोली सेवन करने वाली गर्भवती का प्रदेश स्तर पर प्रतिशत 9.7है, तो जिला स्तर पर इसका प्रतिशत 11.4 प्रतिशत है।
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