उरई| मध्यस्थता एवं सुलह-समझौता केन्द्र के कार्य में गतिशीलता लाये जाने एवं सफल मध्यस्थता का प्रतिशत बढ़ाये जाने के उद्देश्य से माननीय अध्यक्ष/जनपद न्यायाधीश तरूण सक्सेना के निर्देशानुसार सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजीव सरन द्वारा आज पूर्वान्ह मध्यस्थों की समीक्षा बैठक ली गयी। मध्यस्थता एवं सुलह-समझौता केन्द्र में नये प्रकृति के आ रहे फौजदारी, मोटर दुर्घटना प्रतिकर, आर्बिट्रेशन 138 एन0आई0 एक्ट मामलों एवं सिविल वादों में मध्यस्थता कराये जाने की रणनीति पर इस बैठक में विचार-विमर्श किया गया तथा वैवाहिक व पारिवारिक विवादों की पृष्ठभूमि और पक्षकारों की मंशा को समझने के लिये मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। पक्षकारों की निजता बनाये रखने एवं सुलह-समझौता केन्द्र में घरेलू वातावरण देने की आवश्यकता अनुभव की गयी। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजीव सरन द्वारा समस्त मध्यस्थों को निर्देशित किया गया कि विभिन्न न्यायालयों विशेषकर कुटुम्ब न्यायालय से आने वाले मामलों में निर्धारित तिथि के पूर्व ही मध्यस्थता सम्पन्न कराते हुये अथवा यथा-स्थिति अनुसार आवश्यक कार्यवाही करते हुये पत्रावली नियत समयावधि में सम्बन्धित न्यायालय को वापिस कर दिया करें और जहां पत्रावली और अधिक समय तक रोके जाने की आवश्यकता हो, उनमें पक्षकार से प्रार्थना-पत्र लेकर अथवा स्वतः अपनी आख्या से अधोहस्ताक्षरी को अवगत कराते हुये सम्बन्धित न्यायालय को सूचित किया जाना सुनिश्चित करें तथा जहां और अधिक समय की आवश्यकता हो, उन प्रकरणों में भी समय चाहे जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही करें। सचिव राजीव सरन द्वारा समस्त मध्यस्थों से कहा गया कि वह भविष्य में और प्रभावी एवं परिणामोन्मुखी मध्यस्थता करायें, ताकि कुछ मामले ऐसे है, जिनमें मध्यस्थता प्रारम्भ नहीं हो सकी। इसका कारण पूछने पर मध्यस्थों ने बताया कि पक्षकारों की उपस्थिति अत्यन्त कम है। इस संबंध में यह पाया गया कि मध्यस्थों द्वारा ‘‘उत्तर प्रदेश सिविल प्रक्रिया मध्यस्थता नियमावली, 2009‘‘ की अनुसूची-4 का पालन नहीं किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में सभी मध्यस्थगण से अपेक्षा की गयी कि अनुपस्थित पक्षकार की उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु मध्यस्थगण पक्षकार को नोटिस तैयार कर सूचित करेंगे। इस संबंध में उक्त नियमावली की अनुसूची-4 में प्रावधानित व्यवस्था का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा गया। सभी मध्यस्थों ने अनुपालन सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। उपस्थित मध्यस्थगण को आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत तथा प्री-लिटिगेशन के प्रकरणों में भी सहयोग देने हेतु प्रेरित किया गया।उक्त बैठक में मीडियेटर्स सुलेखा सिंह, मन्जू सिंह सेंगर, राजकुमारी निषाद, मनोज कुमार दीक्षित, विनोद प्रकाश व्यास एवं विश्राम सिंह निरंजन उपस्थित रहे।
Get real time update about this post categories directly on your device, subscribe now.