बीआईसी और नेशनल टेक्सटाइल कॉरपोरेशन ने कानपुर समेत यूपी के सात शहरों में टेक्सटाइल पार्क बनाने का निर्णय लिया है। हालांकि इसके लिए प्रदेश सरकार के सामने खुला ऑफर रखा है कि बंद मिलों की निष्प्रयोज्य जमीन फ्रीहोल्ड करके ले ली जाए और बदले में शहर के बाहर जमीन दे दी जाए। इस मुद्दे पर शुक्रवार को लखनऊ में अपर मुख्य सचिव औद्योगिक विकास एवं अवस्थापना की अध्यक्षता में बैठक होगी।
सबसे पहले मिलें बंद हो जाने से खाली हो गई जमीनों का भू-उपयोग बदलने पर चर्चा होगी। हाथरस, सहारनपुर,रायबरेली, लखनऊ, मऊ नैनी व कानपुर में अकेले एनटीसी की ही 375 एकड़ जमीन निष्प्रयोज्य हो चुकीं हैं। इसमें कानपुर की 5 मिलों (म्योर मिल, न्यू विक्टोरिया मिल, स्वदेशी कॉटन मिल,लक्ष्मी रतन कॉटन मिल और अर्थटन कॉटन मिल) की 150 एकड़ जमीनें हैं। इन सभी का कई वर्षों से मास्टर प्लान में लैंड यूज औद्योगिक है। इसे जरूरत के हिसाब से आवासीय, कॉमर्शियल संस्थागत और ऑफिस में तब्दील किए जाने का प्रस्ताव किया गया है।
एनटीसी ने प्रदेश सरकार को जो पत्र भेजा है उसमें कहा है कि शासन स्तर पर लैंड यूज बदला जाए। बीआईसी की कानपुर में 27 संपत्तियां हैं जिनका लैंड यूज बदला जा सकता है। ये सभी जमीनें नजूल की हैं जो फैक्टरी, दफ्तर और बंगला बनाने के लिए लीज पर दी गईं थीं। इसमें लाल इमली की जमीन भी शामिल है।
शहर को फिर टेक्सटाइल नगरी बनाने का प्रस्ताव
एनटीसी ने 35 वर्ष बाद कानपुर को एक बार फिर से टेक्सटाइल नगरी के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव रखा है। टेक्सटाइल पार्क को शहर के बाहर जमीन मिली तो कई फैक्टरियां लगाई जा सकती हैं। अपर मुख्य सचिव ने बैठक में कमिश्नर,डीएम, केडीए उपाध्यक्ष, टाउन प्लानर, मुख्य ग्राम्य एवं नगर नियोजक के अलावा उद्योग व औद्योगिक विकास विभाग के अफसरों को बुलाया है।
सचिव केडीए, शत्रोहन वैश्य ने कहा कि बैठक में शासन स्तर पर बंद मिलों की जमीन लेने के निर्देश हुए तो बदले में चकेरी इलाके में केडीए जमीन दे सकता है। लैंड यूज बदलने का निर्णय शासन स्तर से ही हो सकता है। जमीन देने के लिए जिला प्रशासन की सहमति भी जरूरी होगी।
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