हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकारी अस्पतालों में डेंगू, चिकनगुनिया और वायरल बुखार आदि के मरीजों के यथोचित इलाज की संतोषजनक व्यवस्था न होने पर चिंता जताई है। कोर्ट ने राज्य सररकार और नगर निगम से पूछा है कि मरीजों को उचित चिकित्सीय सुविधा दिए जाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। न्यायालय ने सरकारी अस्पतालों में बेड की कथित कमी पर भी रोष जताया है। कोर्ट ने डेंगू की रोकथाम के लिए पर्याप्त साफ-सफाई और फॉगिंग न किए जाने पर नगर निगम की भी खिंचाई की है।
यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने आशीष मिश्रा की जनहित याचिका पर दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह वेक्टर-जनित रोगों के रोकथाम के लिए एक्शन प्लान पेश करे। न्यायालय ने राज्य सरकार और नगर निगम के अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे अधिवक्ताओं के माध्यम से स्पष्ट करें कि इस समस्या से निपटने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र के अधिवक्ता को भी अगली सुनवाई पर यह बताने को कहा है कि रेलवे अस्पतालों की क्या स्थिति है और वहां मरीजों के इलाज के संबंध में यथोचित व्यवस्था के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में मौजूद अधिवक्ताओं ने भी न्यायालय को बताया कि वेक्टर-जनित रोगोंग की वजह से स्थिति वास्तव में विकट हो चुकी है। अधिवक्ताओं का कहना था कि यदि जरूरत पड़ जाए तो अस्पतालों में बेड मिलना लगभग असम्भव है।