कानपुर: यूपी के कानपुर और उसके आसपास के जिलों में भिखारी गैंग सक्रिय हैं। भिखारी गैंग के सदस्यों ने युवकों को ऐसी यातनाएं दीं कि उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई। कानपुर के एक युवक को नौकरी का झांसा देकर बंधक बना लिया गया। कमरे में बंधक बनाकर उसके हाथ-पैर के पंजों तोड़ दिया गया। आंखों में केमिकल डालकर अंधा कर दिया गया। इसके बाद उसे दिल्ली के भिखारी गैंग के हाथों 70 हजार में बेच दिया गया। अब मानव तस्करी को लेकर बडे़ सवाल खड़े हो रहे हैं। आकड़ों पर नजर डाली जाए तो बीते सात वर्षों में 102 बच्चे लापता हैं। जिनका कुछ भी पता नहीं चला हैं। शनिवार को पुलिस आरोपियों के घर पहुंच गई।
नौबस्ता थाना क्षेत्र स्थित यशोदा नगर कच्ची बस्ती नाला रोड निवासी सुरेश मांझी मजदूरी करता था। सुरेश मांझी को 6 महीने पहले विजय नाम का शख्स नौकरी दिलाने के बहाने ले गया था। उसने नौबस्ता मछरिया गुलाबी बिल्डिंग स्थित घर पर बंधक बना लिया। विजय ने 12 दिनों तक कैद में रखने के दौरान हाथ-पैरों के पंजे तोड़ दिए। आंख में जहरीला केमिकल डाल कर अंधा कर दिया। शरीर को जगह-जगह जलाया गया। इसके बाद उसने दिल्ली के भिखारी गैंग के हाथों 70 हजार में बेच दिया था। सुरेश राह चलते एक मिलने वाले की मदद से घर पहुंचा, तो उसने आपबीती सुनाई।
आरोपियों के घर पहुंची पुलिस
भिखारी गैंग के सदस्य विजय और राज नागर ने सुरेश को यातनाएं देकर 70 हजार में बेंचा था। राज नागर दिल्ली नार्थ में रहता है। पुलिस को उसके घर में ताला लगा मिला है। वहीं, विजय के किदवई नगर स्थित नटवन टोला घर से पुलिस ने एक महिला समेत तीन रिश्तेदारों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। पीड़ित ने अपनी तहरीर में जिसका मोबाइल नंबर दिया था, वह राज नागर का था। राज नागर बीते 30 अक्टूबर को कानपुर में था।
महिला की बेटी की तलाश में पुलिस
पुलिस ने विजय के घर से जिस महिला को हिरासत में लिया है। उसने कई राज भी उगले हैं। महिला ने पुलिस को बताया कि विजय उसकी बेटी के संपर्क में था। पुलिस महिला की बेटी के घर पहुंची तो वहां पर ताला लगा हुआ था। पुलिस का मानना है कि यदि महिला की बेटी पकड़ में आए जाए तो कई राज खुल सकते हैं।
सात वर्षों में 102 बच्चे लापता
सुरेश मांझी को जिस तरह से यातनाएं देकर भिखारी गैंग के हाथों बेंचा गया। उससे सिस्टम पर कई तहर के सवाल खडे़ हो रहे हैं। पुलिस की नाक के नीचे मानव तस्करी का खेल चल रहा है, और उसे भनक तक नहीं थी। स्पेशल जूनेवाइल पुलिस यूनिट के आकड़ों के हिसाब से बीते सात साल में 18 साल से कम उम्र के 102 बच्चे लापता हैं। जिनका कुछ भी पता नहीं है कि वह कहां हैं।
क्या कहते हैं आकड़े
यदि वर्ष 2016 की बात की जाए तो 112 बच्चे लापता हुए, जिसमें 100 बच्चे वापस आ गए और 12 आज भी लापता हैं। साल 2017 में 84 बच्चे लापता हुए थे, जिसमें 78 बच्चों की वापसी हुई, 6 आज भी लापता हैं। साल 2018 में 131 बच्चे लापता हुए थे, जिसमें 13 बच्चों का आज भी कुछ पता नहीं चला है। साल 2019 में 160 बच्चे लापता हुए। 140 बच्चों की वापसी हो गई और 20 आज भी लापता हैं। साल 2021 में 152 में से 13 बच्चे लापता हैं। इस वर्ष अब तक 22 बच्चे लापता हो चुके हैं।
पीड़ित की एक आंख में रोशनी लौटने की उम्मीद
भिखारी गैंग के चुंगल से छूटे सुरेश मांझी का तीन डॉक्टरों के पैनल ने दोबारा मेडिकल परीक्षण किया, जिसमें पाया गया कि उसकी एक आंख पूरी तरह से खराब हो चुकी है, जबकि दूसरी आंख में रोशनी लौटने की उम्मीद है। इसके लिए सुरेश को उच्च सेंटर भेजने की संस्तुति की गई है। डॉ. एसके सिंह का कहना है कि दाहिनी आंख पूरी तरह से खराब हो चुकी है, जबकि अल्सर की वजह से बायीं आंख 90 फीसदी खराब हो चुकी है। यदि पुतली बदल दी जाए तो कुछ उम्मीद है।
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