लखनऊ।आइवीआरआइ के सेवानिवृत्त प्रधान वैज्ञानिक डा. रमेश चंद्र केसरी की मृत्यु प्रकरण में उनकी पत्नी ने एक पुलिस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है पुलिस अधिकारी ने चल-अचल संपत्ति हथियाने के लिए सेवानिवृत्त प्रधान वैज्ञानिक का अपहरण किया और उनकी हत्या कर दी।
डीजीपी से शिकायत कर मामले में पुलिस अधिकारी के विरुद्ध विधिक कार्रवाई की मांग की गई है। पुलिस अधिकारी वर्तमान में लखनऊ में तैनात हैं। डा. रमेश चंद्र केसरी की पत्नी शशि केसरी ने डीजीपी को दिए गए शिकायती पत्र में बताया कि पति से उनका पारिवारिक विवाद न्यायालय में चल रहा है।
न्यायालय के आदेशों के अनुपालन से बचने के लिए वह भूमिगत हो गए। काफी प्रयत्न के बाद पता चला कि एक पुलिस अधिकारी ने न्यायालय की कार्रवाई से बचाने के लिए उन्हें अपने कब्जे में रखा है। 19 अगस्त 2022 को बेटी की पुलिस अधिकारी से बात हुई तो उन्होंने यह बात स्वीकार भी की।
अगले दिन बेटी मिलने पहुंची तो उन्होंने इन्कार कर दिया। पांच नवंबर को शाम करीब सात बजे पुलिस अधिकारी ने बेटी के पास फोन कर डा. रमेश चंद्र केसरी की मृत्यु की जानकारी दी। उनसे बरेली शव भेजने का आग्रह किया गया तो उन्होंने इन्कार कर दिया।
छह नवंबर को लखनऊ पहुंचने पर पुलिस अधिकारी ने सहयोगियों द्वारा शव मोर्चरी पर जबरदस्ती छीन लिया। विरोध पर हाथापाई की। उच्चाधिकारियों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। पुलिस अधिकारी अंतिम संस्कार का अलग-अलग समय बताता रहा।
इसके बाद बताया गया कि आप सभी की अनुपस्थिति में ही अंतिम संस्कार कर दिया जा रहा है। शशि केसरी ने पुलिस अधिकारी पर सेवानिवृत्त प्रधान वैज्ञानिक की चल-अचल संपत्ति हड़पने के लिए अगवा किए जाने और हत्या का आरोप लगाया है।
बेटे और घरवालों ने अंतिम संस्कार से कर दिया था इंकार, मैंने शिष्य और पुत्र धर्म निभाया : आइपीएस डा. सतीश कुमार ने बताया कि मैं जब आइवीआरआइ मेंं पढ़ता था तो डा. रमेश चंद्र केसरी मेरे गाइड और गुरू थे। इसके बाद मेरा आइपीएस में सेलेक्शन हो गया। डा. रमेश की पत्नी शशि ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। साथ में नहीं रहते थे। अलग रहते थे।
मैं जब बरेली में तैनात था तो गुरूजी ने मुझे सारी जानकारी दी थी। वह अधिकारियों के पास जाते अपने परिवार की प्रताड़ना का जिक्र करते थे। सभी अधिकारियों को भी पूरे मामले की जानकारी है। मई में डा. रमेश को बरेली में ही ब्रेन हैम्ब्रेज हो गया था।
जानकारी होने पर एम्स में उनका इलाज मैंने कराया। डाक्टर ने स्पेशल केयर के लिए कहा था। डाक्टर के सारे पर्चे और प्रिस्क्रिप्शन मेरे पास है। इस लिए उन्हें अपने घर पर रख कर सेवा की। परिवार के लोग कभी देखने नहीं आते थे। प्रताड़ना से त्रस्त होकर गुरूजी ने पत्नी, बेटे और बेटी को पहले ही बेदखल कर दिया था।
बेटी और पत्नी फोन पर भी गुरुजी जी से बहुत गंदी तरह से बात करते थे। पांच नवंबर को गुरूजी को अस्पताल ले गया उनकी मृत्यु हो गई। सूचना देने के बाद भी उनकी पत्नी और बेटे रात पहुंचे । सोमवार को शव का पोस्टमार्टम कराया गया।
इसके बाद उनकी पत्नी और बेटे ने अंतिम संस्कार नहीं किया, न ही शामिल हुए वह लोग चले गए। बैकुंठधाम पर गुरुजी का अंतिम संस्कार कर शिष्य और पुत्र दोनों का धर्म निभाया। डा. सतीश ने बताया कि उनके ऊपर लगे सारे आरोप निराधार हैं।
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