उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनावों को लेकर बीजेपी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. समाजवादी पार्टी के संरक्षक के मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई सीट पर पूर्व सांसद रघुराज शाक्य को टिकट दिया है तो वहीं आजम खान के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले आकाश सक्सेना को पार्टी ने फिर प्रत्याशी बनाया है. वहीं पूर्व विधायक विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को पार्टी ने टिकट दिया है.
बीजेपी संगठन में कोई बड़ा नाम नहीं हैं. संगठन में लघु उद्योग प्रकोष्ठ में संयोजक आकाश सक्सेना को अपने जुझारूपन और आजम के खिलाफ खुलकर बोलने और मुखर रहने का इनाम मिला है.
कोई बड़ा पद न होने के बावजूद पिछले कुछ समय से लगातार चर्चा में रहे हैं. इसकी वजह आजम खान से आकाश सक्सेना की अदावत है. आकाश सक्सेना का नाम भी आजम खान की वजह से ही चर्चा में आया.
करीब 47 साल के आकाश सक्सेना मूलतः व्यापारी नेता हैं. पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक है. रामपुर में उनका अपना उद्योग है तो वहीं इंडीयन इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन से भी जुड़े रहे हैं. आकाश सक्सेना छात्र राजनीति कर चुके हैं पर मुख्यधारा को पॉलिटिक्स में अभी उनकी कोई ख़ास पहचान नहीं है. लेकिन जिस तरह से उन्होंने आजम खान जैसे बड़े और अपने क्षेत्र के प्रभावशाली और ताकतवर नेता के खिलाफ मोर्चा खोला और आजम के फर्जी पैनकॉर्ड पास्पोर्ट और दूसरे दस्तावेजों के मामले में न सिर्फ मुखर रहे बल्कि वादी भी रहे और कमियों की उजागर करने में भूमिका निभाई. उससे वो बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की नजर में आए.
यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने रामपुर चुनाव और आकाश सक्सेना की उम्मीदवारी पर बोलते हुए कहा कि ‘किस तरह लोगों का हक छीना जा रहा था. किसने चोरी की सब जानते हैं. इसलिए जनता बीजेपी प्रत्याशी और पार्टी का साथ देगी.’ आजम के गढ़ में क्या मिलेगी सफलता? इस सवाल पर भूपेन्द्र चौधरी कहते हैं कि अब कोई किसी का गढ़ नहीं है. पूरा प्रदेश बीजेपी का गढ़ है.’
2022 में पार्टी ने फिर विक्रम सैनी की टिकट दिया था. राजकुमारी सैनी को टिकट देकर बीजेपी ने विक्रम सैनी कर ही भरोसा जताया है. क्योंकि इस सीट पर 2022 में विक्रम सैनी ने सफलता हासिल की थी. क्षेत्र में विक्रम सैनी का खासा प्रभाव माना जाता है
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