यंग भारत ब्यूरो
देश में बाल विवाह कानूनन अपराध है. लड़की की शादी 18 साल बाद और लड़के की शादी 21 साल के बाद ही की जा सकती है. यदि इस उम्र सीमा से नीचे के लड़के या लड़की की शादी की जाती है, तो शादी अवैध घोषित मानी जाती है. इतना ही नहीं बाल विवाह कराने वालों को जेल भी हो सकती है. हालांकि इसके बाद भी मुस्लिम समाज में शादी को लेकर कई तरह के सवाल पैदा होते हैं. देश में मुस्लिमों के लिए शरीयत कानून को भी मान्यता मिली हुई है. शरीयत कानून के तहत लड़की को उम्र से नहीं बल्कि Menstrual के आधार पर बालिग माना जाता है.
ऐसे में क्या मुस्लिम कानून के हिसाब से नाबालिग की शादी की जा सकती है? इस सवाल को केरल की हाईकोर्ट के एक आदेश ने पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है. केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि मुस्लिम कानून के तहत नाबालिगों की शादी पॉक्सो एक्ट से बाहर नहीं हो सकती है. यदि दूल्हा या दुल्हन नाबालिग है और मुस्लिम कानून के तहत उनकी शादी भले ही वैध हो, लेकिन पॉक्सो एक्ट उनपर भी लागू होगा.
पॉक्सो एक्ट एक विशेष कानून है- केरल HC
जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस की एकल पीठ ने कहा कि पॉक्सो एक्ट एक विशेष कानून है. पॉक्सो एक्ट विशेष रूप से बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा देने के लिए बनाया गया है. एक बच्चे के खिलाफ हर प्रकार के यौन शोषण को अपराध माना जाता है. नाबालिग विवाह को भी इससे बाहर नहीं रखा गया है. पॉक्सो एक्ट से किसी को भी बाहर नहीं रखा जा सकता है.
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