यूपी निकाय चुनाव अब जनवरी से पहले नहीं होगा। उप्र में अब आचार संहिता ही 10 दिसंबर के बाद लगेगी। दरअसल, 5 दिसंबर से शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है। ऐसे में आचार संहिता शीतकालीन सत्र के बाद ही लागू होगा।
जानकारों का कहना है कि अगर आचार संहिता लग जाती तो सरकार शीत कालीन सत्र नहीं कर पाती। सत्र चलाने के लिए जनवरी तक का इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा सभी बड़े नेता इंवेस्ट समिट के लिए विदेश जाएंगे। ऐसे में चुनाव को जनवरी में ले जाया जाएगा।
नगर निगम लखनऊ के एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि अब वार्ड आरक्षण से लेकर मतदाता सूची की फाइन लिस्ट आने में समय लगेगा। निकाय चुनाव यूपी में दिसंबर में होने की उम्मीद थी लेकिन आचार संहिता लगने के करीब एक महीने बाद ही डेट दी जाती है। अधिकतम समय 35 दिन का होता है। हालांकि कई बार आचार संहिता लगने के 10 दिन के अंदर चुनाव करा लिया जाता है लेकिन इसकी उम्मीद काफी कम है।
सरकार जनता को खुश करना चाहेगी
सरकार बजट सत्र के दौरान तमाम ऐसी योजनाएं लाना चाहेगी जिससे कि शहरी क्षेत्र के वोटर को लुभाया जा सके। उनको लुभाने से निकाय चुनाव में फायदा होगा। यूपी में 17 महानगर में मेयर का चुनाव होना है। ऐसे में हर सीट को जीतने के लिए इन शहरों के लिए कुछ विशेष पैकेज मिल सकते है।
संगठन की ताकत बढ़ाने का मिलेगा समय
बीजेपी इस चुनाव को संगठन की ताकत बढ़ाने के तौर पर दिख सकती है। ऐसे में उसको जितना समय मिलेगा पार्टी और संगठन के लिए बेहतर होगा। ऐसे में समय मिलने से बीजेपी संगठन को मजबूत कर सकेगी। अभी तक दिसंबर में चुनाव होने की उम्मीद थी। सत्र इसलिए पहले किया गया कि आचार संहिता लग जाती तो अनुपूरक बजट अब जनवरी में आता और मार्च से पहले उस पैसे को खर्च करने में आती परेशानी।
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