स्कूल जाने वाले बच्चों के मल के नमूने किए जाएंगे एकत्रित
21 नवंबर से 18 दिसंबर तक जालौन समेत 39 जिलों में चलेगा अभियान
उरई(जालौन): स्वास्थ्य विभाग बच्चों में कृमि जनित बीमारियों का पता लगाएगा। इसके लिए प्रदेश में 39 जिलों का चयन किया गया है। इसमें जालौन जनपद भी शामिल है। जिले के दो स्कूलों में मिट्टी के जरिए फैलने वाले कृमि सर्वे (स्वाइल ट्रांसमिटेड हेलमिंथ्स प्रिवलेंस सर्वे) के माध्यम से बच्चों की स्वास्थ्य की जांच की जाएगी।
मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश लखनऊ के द्वारा स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया है कि सहयोगी संस्था एविडेंस एक्शन के द्वारा प्रदेश के चयनित जनपदों में एसटीएच प्रिविलेंस सर्वे 21 नवंबर 2022 से 18 दिसंबर 2022 तक प्रस्तावित है। सर्वेक्षण दल के द्वारा स्कूल जाने वाले प्रत्येक बच्चों के मल के नमूने एकत्रित किए जाएंगे, तथा नजदीकी स्वास्थ्य फैसिलिटी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अथवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित अस्थाई माइक्रोस्कोप केंद्रों में इसका सूक्ष्म परीक्षण किया जाएगा। साथ ही उक्त कार्य के लिए आशा कार्यकर्ता द्वारा सर्वे में सहयोग प्रदान किया जाना हैI जिसके लिए सर्वे क्षेत्र में चयनित आशा को साथ एविडेंस एक्शन द्वारा बच्चों और अभिभावक को प्रेरित करने के लिए 100 प्रतिदिन जाने का प्रावधान है।
जिले के दो स्कूल चयनित
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी आरबीएसके डॉ एसडी चौधरी ने बताया कि शासन स्तर से इसके लिए एक परिषदीय और एक कांवेंट स्कूल चुना गया है। जिसमें परिषदीय स्कूल में कुठौंद विकासखंड के सिहारी चेलापुर ग्राम पंचायत स्थित यूपीएस सिहारी चेलापुर एवं के नगरीय क्षेत्र उरई स्थित गुड गेट कॉन्वेंट स्कूल को चयनित किया गया है। जल्द ही चयनित स्कूल में टीम भेजकर जांच कराई जाएगी।
जालौन समेत 39 जनपदों में हो रहा सर्वे
जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र के मैनेजर रवींद्र सिंह चौधरी ने बताया कि जालौन जिले के अलावा आगरा, बागपत, बहराइच, बलिया,बांदा, बंदायू, चंदौली, देवरिया,अयोध्या, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गौतम बुद्धनगर, गाजीपुर, गोरखपुर, हापुड़, हरदोई, जौनपुर, अमरोहा,कन्नौज, लखीमपुर खीरी, कुशीनगर, महोबा, लखनऊ, मैनपुरी, मथुरा, मऊ, मेरठ, मिर्जापुर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, संत कबीरनगर, शाहजहांपुर, सीतापुर, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र समेत 39 जनपद शामिल है।
पेट में कीड़े से रुक जाता है बच्चों का विकास
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एनडी शर्मा का कहना है कि इस अभियान का उद्देश्य जांच में कीड़ों से होने वाली बीमारी की स्थिति का पता लगाना है। पेट के कीड़े मारने के लिए एल्वेंडाजोल जैसी दवा खिलाने का जो अभियान छेड़ा गया था, उसका कितना असर किया गया है। इस सर्वे के माध्यम से पता लगाया जाएगा। उसी आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी। कृमि के कारण बच्चे के पेट में कीड़े हो जाते हैं। जिससे बच्चे स्कूल नहीं जा पाते है, उनका मानसिक और शारीरिक विकास रुक जाता है और वह बीमार रहने लगता है।
कृमि के कारण
-खुले में शौच जाना
-बिना हाथ साफ किए भोजन करना
-नंगे पांव चलना
-दूषित जल और दूषित भोजन करने से
बचाव
खुले में शौच करने न जाए, शौचालय का उपयोग करें
अच्छे से साबुन से हाथ धोने के बाद ही भोजन करें
जूते चप्पल पहनें।
सब्जियों को अच्छी से धोकर ही उपयोग करें।
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