बिजली विभाग में भ्रष्टाचारी इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसको लेकर सीएम से मांग की है कि विभाग में ऑपरेशन क्लीन चलाया जाए। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि बिजली विभाग का घाटा एक लाख करोड़ रुपए के पार हो चुका है। बिजली चोरी में 5000 करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट किया गया था। बावजूद उसके अभी तक इस टारगेट को पूरा नहीं किया गया है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि भ्रष्ट इंजीनियरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। दरअसल, पिछले छह महीने में चेयरमैन एम देवराज ने करीब 40 से ज्यादा इंजीनियरों को सस्पेंड करने का काम किया गया है।1959 में गठित राज्य विद्युत परिषद के इतिहास में मौजूदा समय सबसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई चल रही है।
मौजूदा समय भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। अभी भी पूरे उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में बड़े -बड़े भ्रष्टाचार उजागर हो रहे हैं । प्रदेश की बिजली कंपनियों में भ्रष्टाचार पर ऑपरेशन क्लीन को और तेज किया जाए जिससे आने वाले समय में बिजली विभाग भ्रष्टाचार मुक्त हो सकें। इसका लाभ सीधे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को मिल पाए।
5000 करोड़ रुपए की बिजली चोरी होती है
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि प्रदेश में 1 लाख 20 हजार मिलियन यूनिट बिजली की खरीद हो रही है। इसकी कुल लागत लगभग 61000 करोड़ से 62000 करोड़ के बीच है। इसमें 20 प्रतिशत वितरण हानियों को आधार मानकर यदि बिजली चोरी का आकलन किया जाए तो लगभग प्रत्येक वर्ष 5000 करोड़ रुपए की बिजली चोरी हो रही है।
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