यंग भारत ब्यूरो
नई दिल्ली। अगले साल से सीबीएसई की दसवीं परीक्षा में 40 और 12वीं में 30 प्रतिशत सवाल ऐसे होंगे जो विद्यार्थियों की क्षमता का आकलन करेंगे। ये सवाल कई तरह के होंगे, जैसे वस्तुनिष्ठ, तर्कशक्ति का इम्तिहान लेने वाले, केस आधारित, रचनात्मक आदि। शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने लोकसभा को बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्य के अनुरूप परीक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव किया जा रहा है।
छात्रों की आकलन पर अधिक दिया जाएगा जोर
स्तुनिष्ठ सवालों के पैटर्न के साथ यह कोशिश की जा रही है कि उनकी क्षमता के आकलन पर अधिक जोर दिया जाए। इसी के तहत नए फार्मेट में रीजनिंग और छोटे जवाब वाले प्रश्नों को अहमियत दी जाएगी। ये बदलाव सत्र 2022-23 से ही लागू किए गए हैं। इसका मतलब है कि अगले साल बोर्ड परीक्षा में दसवीं में लगभग 40 और 12वीं में 30 प्रतिशत प्रश्न ऐसे होंगे जो छात्र-छात्राओं की क्षमता का इम्तिहान लेंगे। गौरतलब है कि दसवीं और 12वीं की परीक्षा 15 फरवरी से शुरू हो रही है। हालांकि सीबीएसई ने अभी परीक्षाओं का कार्यक्रम घोषित नहीं किया है।
निजी स्कूलों में कम हुए विद्यार्थी, शिक्षक भी घटे
कोविड महामारी फैलने के बाद से लगातार दूसरे साल सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं के नामांकन में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन निजी स्कूलों में उनकी संख्या में कमी आई है। अन्नपूर्णा देवी ने एकीकृत जिला सूचना सिस्टम से मिले डाटा के आधार पर बताया कि सरकारी स्कूलों में नामांकन 13.49 करोड़ से बढ़कर 14.32 करोड़ हो गया है, लेकिन निजी स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या 9.51 करोड़ से घटकर 8.82 रह गई है।
इस दौरान सरकारी, सहायता प्राप्त, निजी और अन्य स्कूलों में शिक्षकों की संख्या कम हुई है। इस बारे में सरकार ने कहा है कि शिक्षकों की नियुक्ति, उनकी सेवा शर्तें और उनकी तैनाती राज्य सरकारों का विषय है। शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि शिक्षकों के रिक्त पद भरें और उनकी तार्किक तैनाती करें।
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