प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट में कहा गया कि पूरा ज्ञानवापी परिसर विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की कोर्ट में शृंगार गौरी की नियमित पूजा की अनुमति संबंधी मांग के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु जैन ने अपनी बहस में यह बात कही। उनका कहना था कि वक्फ एक्ट के तहत विवाद होने पर सिविल कोर्ट को वाद सुनवाई का अधिकार नहीं है।
वक्फ अधिकरण को नहीं है हिंदू-मुस्लिम विवाद की सुनवाई का अधिकार वक्फ अधिकरण (ट्रिब्यूनल) में ही केस की सुनवाई की जा सकती है, किंतु वक्फ एक्ट में मुस्लिमों के बीच विवाद की सुनवाई हो सकती है, हिंदू-मुस्लिम के बीच विवाद की सुनवाई का अधिकार वक्फ अधिकरण को नहीं है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने काशी विश्वनाथ मंदिर कानून के हवाले से कहा कि पूरा ज्ञानवापी परिसर विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र है। दीन मोहम्मद केस में केवल गुंबदों के नीचे नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई है। मालिकाना हक नहीं दिया गया है।
आजादी से पहले से होती आ रही शृंगार गौरी की पूजा शृंगार गौरी की आजादी से पहले से पूजा होती आ रही है, इसलिए पूजा नहीं रोकी जा सकती। डीएम वाराणसी द्वारा रामजन्म भूमि विवाद के दौरान पूजा रोकना संवैधानिक अधिकारों का उल्लघंन है। अधीनस्थ अदालत ने विपक्षी वादियों के पूजा के अधिकार संबंधी मुकदमे की पोषणीयता पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति निरस्त कर सही किया है। याचिका खारिज होने योग्य है।
आज भी जारी रहेगी सुनवाई हिंदू पक्ष कल अपनी बहस खत्म कर सकता है। एक या दो दिनों में सुनवाई पूरी हो सकती है। बुधवार को करीब एक घंटे सुनवाई चली। गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। इंतेजामिया कमेटी ने 12 सितंबर 2022 को जिला जज की कोर्ट से अर्जी खारिज किए जाने संबंधी फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। इसमें वाराणसी की3 अदालत में वाद दाखिल करने वाली पांचों महिलाओं समेत 10 लोगों को पक्षकार बनाया गया है।
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