क्यूआरजी हॉस्टिपल में फर्जी कागजात के आधार पर हुए किडनी ट्रांसप्लांट की परतें अब खुलने लगी हैं। इस केस में आधार से लेकर विवाह पंजाकरण सब आसानी से फर्जी बनवा लिए गए और उसी के आधार पर यह ट्रांसप्लांट किया गया। ऐसे में सरकारी विभागों की लापरवाही भी उजागर हो रही है। हालांकि पुलिस के लिए पूरे रैकेट को समझना और आरोपियों को पकड़ना किसी चुनौती से कम नहीं है। केस दर्ज होने के बाद से किडनी लेने वाला आरोपी पत्नी सहित फरार है। पुलिस ने आरोपी के दिल्ली के पते पर जांच की लेकिन वह मकान खाली कर चुका है। आरोपी का नंबर भी बंद आ रहा है।
इधर पीड़िता ने सोमवार को पुलिस के सामने अपने दस्तावेज सौंपे। इसमें पीड़िता का आधार कार्ड, वोटर कार्ड व विवाह पंजीकरण शामिल हैं, वह सब फर्जी हैं। सभी सरकारी दस्तावेज को आसानी से बनवा लिया गया। पुलिस को क्यूआरजी अस्पताल की फाइल से पीड़िता का ऐफिडेविड मिला है। इसमें महिला ने कहा कि रिंकी और अंबिका दोनों उसी के नाम हैं। शादी से पहले उसका नाम रिंकी था, शादी के बाद उसने बदलकर अंबिका रख लिया। पुलिस यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि सरकारी कागजात के फर्जीवाड़े से और कितने कांड किए गए हैं। सभी को आपस में मिलाने वाले राजा की अभी तक कोई जानकारी पुलिस नहीं जुटा पाई है। पुलिस को शक है हो सकता है, सभी की फर्जी आईडी बनवाने वाले राजा का नाम भी फर्जी हो। पुलिस ने क्यूआरजी अस्पताल को नोटिस जारी कर ऑपरेशन की सभी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।
माता-पिता व बेटे को मृत बताकर कराया था वेरिफिकेशन
महिला ने पुलिस को बताया कि आरोपी बहुत शातिर किस्म के अपराधी हैं। वह जानते थे कि पति को किडनी देने के दौरान ऑर्गन ट्रांसप्लांट कमेटी महिला के माता-पिता और बच्चों से भी पूछताछ करती है। इसके लिए आरोपियों ने रिंकी से एक एफिडेविट बनवाया, जिसमें लिखा था कि उसके माता-पिता का काफी पहले ही देहांत हो चुका है। बच्चे के किसी कारण मौत हो गई। पुलिस ने सभी कड़ियों को जोड़ना शुरू कर दिया है। इसमें कई सरकारी विभाग भी लपेटे में आ सकते हैं। रिंकी के किडनी मामले के बाद से पूर्व में हुए ऑपरेशन भी संदेह के घेरे में आ गए हैं। सोमवार दोपहर महिला सेक्टर-17 अंतर्गत सेक्टर-16 पुलिस चौकी पहुंचकर अपने कागजात जमा कराए।
महिला ने पुलिस को बताया कि आरोपी बहुत शातिर किस्म के अपराधी हैं। वह जानते थे कि पति को किडनी देने के दौरान ऑर्गन ट्रांसप्लांट कमेटी महिला के माता-पिता और बच्चों से भी पूछताछ करती है। इसके लिए आरोपियों ने रिंकी से एक एफिडेविट बनवाया, जिसमें लिखा था कि उसके माता-पिता का काफी पहले ही देहांत हो चुका है। बच्चे के किसी कारण मौत हो गई। पुलिस ने सभी कड़ियों को जोड़ना शुरू कर दिया है। इसमें कई सरकारी विभाग भी लपेटे में आ सकते हैं। रिंकी के किडनी मामले के बाद से पूर्व में हुए ऑपरेशन भी संदेह के घेरे में आ गए हैं। सोमवार दोपहर महिला सेक्टर-17 अंतर्गत सेक्टर-16 पुलिस चौकी पहुंचकर अपने कागजात जमा कराए।
वादा पूरा हो जाता तो पकड़ में नहीं आता फर्जीवाड़ा
महिला के पति को सरकारी नौकरी का वादा किया गया था। किडनी निकालने के बाद आरोपियों ने महिला से किया वादा पूरा नहीं किया। आरोपियों ने महिला का इलाज भी सही से नहीं कराया। यदि वायदा पूरा हो जाता तो इतने बड़े फर्जीवाड़े से पर्दा नहीं उठ पाता। अंदेशा है फर्जी कागजात पर और भी ट्रांसप्लांट किए गए हों। डोनर से किया वादा पूरा होने के बाद शिकायत नहीं की जाती। आरोपियों ने बाकायदा सोशल साइट पर इसके विज्ञापन डाल रखे थे। ऐसे में केस की जांच के दौरान और भी खुलासे हो सकते हैं। मामले की जांच कर रहे एसआई उमेद का कहना है कि रविवार के कारण जांच शुरू नहीं हो पाई। पुलिस ने कई लोगों को जांच में शामिल करने के नोटिस तैयार कर रखे हैं। सोमवार से सभी को जांच में शामिल किया जाएगा।
महिला के पति को सरकारी नौकरी का वादा किया गया था। किडनी निकालने के बाद आरोपियों ने महिला से किया वादा पूरा नहीं किया। आरोपियों ने महिला का इलाज भी सही से नहीं कराया। यदि वायदा पूरा हो जाता तो इतने बड़े फर्जीवाड़े से पर्दा नहीं उठ पाता। अंदेशा है फर्जी कागजात पर और भी ट्रांसप्लांट किए गए हों। डोनर से किया वादा पूरा होने के बाद शिकायत नहीं की जाती। आरोपियों ने बाकायदा सोशल साइट पर इसके विज्ञापन डाल रखे थे। ऐसे में केस की जांच के दौरान और भी खुलासे हो सकते हैं। मामले की जांच कर रहे एसआई उमेद का कहना है कि रविवार के कारण जांच शुरू नहीं हो पाई। पुलिस ने कई लोगों को जांच में शामिल करने के नोटिस तैयार कर रखे हैं। सोमवार से सभी को जांच में शामिल किया जाएगा।
बीके अस्पताल के ऑर्गेन ट्रांसप्लांट कमेटी के डिप्टी सीएमओ राजेश श्योकंद का कहना है कि उन्हें कमेटी सदस्यों के नाम याद नहीं हैं। एसीपी महेंद्र वर्मा ने बताया कि महिला के अनुसार आरोपियों ने दिल्ली के रमेश नगर निवासी तेजेंद्र और जयप्रकाश की मदद से नांगलोई इलाके में एसडीएम दफ्तर में उसकी शादी का पंजीकरण करवाया था। फर्जी सर्टिफिकेट में उसकी उम्र करीब 42 वर्ष बताई गई, जबकि मौजूदा समय में उसकी उम्र करीब 28 वर्ष है। पुलिस फर्जी कागजात तैयार करने वालों की तलाश कर रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी।