मेरठ. पांडवों की राजधानी माने जाने वाले हस्तिनापुर के पास मवाना में सुरंगनुमा आकृति मिली है. तकरीबन दस से बारह फीट गहरी इस सुरंगनुमा आकृति को देखकर लोग हैरत में हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस सुरंगनुमा आकृति का रिश्ता महाभारतकाल से हो सकता है, जिस स्थान पर सुरंगनुमा आकृति मिली है उसे पक्का तालाब कहा जाता है. पक्का तालाब के बारे में भी महाभारतकालीन कई कहानियां बताई जाती है. इसी पक्का तालाब में नगर पालिका परिषद मवाना सौंदर्यीकरण का कार्य कर रहा था, तभी खुदाई के दौरान सुरंगनुमा आकृति मिली है.
अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी एएसआई इस पड़ताल में जुट गई है कि आखिर इस सुरंगनुमा आकृति का राज क्या है. अधिकरियों ने पक्का तालाब पहुंचकर सुरंगनुमा आकृति का वैज्ञानिक अध्ययन किया है. अधिकारियों ने बताया कि इस आकृति की कार्बन डेटिंग कराई जाएगी.
SDM ने किया निरीक्षण
मवाना तहसील के एसडीएम ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया. एसडीएम ने पुरातत्व विभाग को इस बाबत सूचित किया है. एसडीएम ने बताया कि सुरंगनुमा आकृति दिखी है, अब एएसआई की टीम इसका वैज्ञानिक अध्ययन करेगी. बता दें कि मवाना तहसील से ऐतिहासिक नगरी हस्तिनापुर मात्र 12 किमी दूर स्थित है.
सुरंग को लेकर इलाके में तरह-तरह की चर्चाएं
बताया जाता है कि सूखे तालाब में कुछ बच्चे खेलने पहुंचे थे. खेलते-खेलते बच्चों ने खुदाई वाली जगह नीचे एक दरवाजा देखा, जो ईंट से जालीदार बना था. इसके बाद बच्चों ने घर जाकर अपने परिजनों को यह बात बताई. पहले तो परिजनों को लगा बच्चों को भ्रम हुआ है, लेकिन, बार-बार एक ही बात कहने पर परिजन तालाब पर पहुंचे और उन्हें सुरंगनुमा आकृति दिखाई दी. लोग तो ये भी चर्चा कर रहे हैं कि तालाब के नीचे निकली सुरंग पांडवों के अज्ञातवास के दौरान बनाई गई लाक्षा गृह सुरंग से जुड़ी हो सकती है. स्थानीय लोग बताते हैं कि कौरवों से बचने के लिए पांडवों ने बरनावा से लेकर हस्तिनापुर तक सुरंग बनाई थी. हालांकि पुरातत्व विभाग की जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी.
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