लखनऊ: श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में बड़ा आदेश जारी हुआ है। वर्ष 1618 से चल रहे विवाद में एक नया मोड़ आया है। अपर सिविल जज सीनियर डिविजन तृतीय कोर्ट ने विवादित स्थल का अमीन से निरीक्षण कराने का आदेश दिया है। इसकी रिपोर्ट 20 जनवरी को कोर्ट के सामने रखने का आदेश भी दिया गया है। माना जा रहा है कि शाही मस्जिद के अमीन से निरीक्षण कराने का कार्य नए साल में यानी 2 जनवरी से शुरू हो सकती है। शाही मस्जिद मामले में कोर्ट का आदेश इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि कुछ इसी प्रकार का आदेश ज्ञानवापी मस्जिद मामले में भी दिया गया था। वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का कोर्ट कमिश्नर से सर्वे कराने का आदेश जारी किया था। श्रृंगार गौरी मंदिर में दैनिक पूजा मामले में यह आदेश आया था। इसके बाद सर्वे का कार्य पूरा कराया गया। इसके वीडियो और फोटो लीक हुए। मस्जिद में कई प्रकार की हिंदू आकृतियों के पाए जाने का मामला सामने आया। कोर्ट में केस चल रहा है। कुछ इसी प्रकार का मामला शाही मस्जिद मामले में भी बढ़ने की आशंका जताई जाने लगी है। कोर्ट के आदेश के बाद अमीन निरीक्षण पर बहस शुरू हो गई है। सवाल किया जा रहा है कि आखिर अमीन निरीक्षण होता क्या है? यह सर्वेक्षण से किस प्रकार अलग होगा? सबसे बड़ा सवाल आखिर आमीन कौन होते हैं? यह कैसे काम करते हैं? आइए जानते हैं।
क्या है पूरा मामला?
मथुरा की एक अदालत ने ज्ञानवापी मामले की तरह ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान से सटी शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया है। हिंदू सेना ने इसके लिए अर्जी दी थी। 20 जनवरी तक अमीन को ईदगाह की रिपोर्ट अदालत में पेश करनी होगी। उसी दिन अगली सुनवाई की जाएगी। हिंदू सेना ने दावा किया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर तोड़कर औरंगजेब ने ईदगाह तैयार करवाई थी। 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमिटी के बीच हुए समझौते को चुनौती दी गई है। दरअसल, इससे पहले भी आधा दर्जन से अधिक वादी सिविल जज सीनियर डिविजन (प्रथम) ज्योति सिंह की अदालत में भी यही मांग रख चुके हैं, लेकिन अब तक उन याचिकाओं पर कोई फैसला नहीं हो सका है।
यह केस हिंदू संगठनों की ओर से कटरा केशव देव मंदिर से 17वीं सदी की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने से संबंधित है, जिसमें दावा किया गया है कि मस्जिद भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बनाई गई है। शाही ईदगाह मस्जिद कथित तौर पर 1669-70 में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर कृष्ण जन्मभूमि पर बनाई गई थी। मथुरा की दीवानी अदालत ने पहले यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया था कि इसे 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के तहत स्वीकार नहीं किया जा सकता है। दरअसल, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 15 अगस्त 1947 को किसी भी पूजा स्थल की धार्मिक स्थिति को बनाए रखता है।
कौन होते हैं अमीन?
कोर्ट की ओर से अमीन निरीक्षण कराने का आदेश जारी किया गया है। ऐसे में आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि अमीन कौन होते हैं। ये राजस्व विभाग से संबद्ध होते हैं। ग्रामीण स्तर पर पंचायत और शहरी निकायों के वार्डों में नियुक्त होने वाले राजस्व कर्मचारी अमीन के जरिए भूमि विवादों का निपटान करते हैं। अमीन का कार्य जमीन को मापने और बंटवारे का होता है। सरकार की ओर से भी जमीन की मापी के लिए अमीन की मदद ली जाती है। निजी स्तर पर भी लोग अमीन को बुलाकर जमीन की मापी कराते हैं। बंटवारे के दौरान इनकी अहमियत काफी होती है। अमीन किसी भी जमीन का नक्शा को देखकर उसके वास्तविक लोकेशन को बताता है।
अमीन बनने के लिए आईटीआई या पॉलिटेक्निक संस्थानों में लैंड सर्वेयर का कोर्स कराया जाता है। डिप्लोमा या आईटीआई कोर्स पूरा करने के बाद निजी अमीन बनते हैं। सरकारी विभागों में अमीन की वैकेंसी निकलती है। भर्ती परीक्षा पास करने के बाद सरकारी अमीन बनते हैं। दसवीं कक्षा में गणित और विज्ञान में अच्छे अंकों में पास करने या 12वीं उत्तीर्ण छात्र मान्यता प्राप्त आईटीआई या पॉलिटेक्निक डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं।
क्या होता है अमीन का अर्थ?
अमीन मूल रूप से अरबी शब्द आमीन से लिया गया है। प्रार्थना के समापन के समय या फिर दुआ के बाद आमीन कहा जाता है। इसका अर्थ सहमति जाना होता है। आमीन से अमीन बना है। अमीन को ईमानदार और सच बोलने वाला मानते हैं। सरल शब्दों में जमीन से संबंधित ज्ञान रखने वालों और भूमि विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने वालों को अमीन कहते हैं। अमीन की राय जमीन मालिकों से असहमति जताने वाले पक्ष तक को मंजूर होती है। इसलिए, समाज में अमीन को काफी सम्मान के नजरिए से देखा जाता है।
क्या है मथुरा कोर्ट का फैसला?
अपर सिविल जज सीनियर डिविजन तृतीय सोनिका वर्मा ने दिल्ली निवासी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और उपाध्यक्ष गुरुग्राम निवासी सुरजीत सिंह यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए अमीन निरीक्षण का आदेश दिया है। श्रीकृष्ण जन्म भूमि विवाद मामले में यह बड़ा अपडेट है। हिंदू सेना की ओर से दोनों अधिकारियों ने 8 दिसंबर को कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह हटाने की मांग की गई है। कोर्ट ने इस याचिका पर पहली ही सुनवाई में निरीक्षण का आदेश जारी कर दिया। श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ भूमि पर पहले मंदिर था। औरंगजेब के शासनकाल में वर्ष 1668 में इसे तोड़कर शाही मस्जिद ईदगाह बनाया गया।
याचिकाकर्ताओं ने 1968 में शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी और श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ के बीच हुए समझौते को भी गलत करार दिया। कोर्ट की ओर जारी आदेश के संबंध में वकीलों का कहना है कि यह निरीक्षण का आदेश है। निरीक्षण में स्थान की यथास्थिति की रिपोर्ट तैयार की जाती है। इस रिपोर्ट को कोर्ट में पेश किया जाता है। सर्वे में हम तथ्यों को जुटाते हैं। सर्वेक्षण वाले स्थान पर किसी विशेष वस्तु की तलाश करते हैं। कोर्ट ने जो आदेश दिया है, वह निरीक्षण से संबंधित है।