जून-जुलाई और अगस्त में पर्याप्त बारिश न होने से जिले के किसान तबाह हो गए। एक तरफ जहां किसानों को बेहन जिंदा रखने के लिए 5 से 6 बार पम्पिंगसेट से सिंचाई करनी पड़ी वहीं रोपाई और बुवाई के बाद फसल बचाए रखने के लिए तीन से चार बार सिंचाई करनी पड़ी। मौसम ने फिर भी मेहरबानी नहीं दिखाई तो तमाम किसान घबरा गए। अब ऐसे किसानों की मदद योगी सरकार करेगी।
प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन ने जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। प्रमुख सचिव ने उसी कड़ी में कहा है कि कम वर्षा के कारण जिन किसानों ने धान की फसलें जुतवा दी है उनका पूरा विवरण तैयार करा लिया जाए ताकि भविष्य में सूखा मैनुअल के मानकों के अनुसार इन किसानों को कृषि निवेश अनुदान समय से दिया जा सके। बता दें कि पम्पिंगसेट से एक एकड़ धान की फसल की सिंचाई में एक बार में 2500 रुपये तक खर्च आ रहा था। ऐसे में बहुत से किसानों ने धान की फसलें जुतवा दीं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने धान की फसल जुतवा देने के लिए मजबूर किसानों की खबरों को शासन-प्रशासन तक पहुंचाया। किसानों के दर्द को प्रदेश सरकार ने भी महसूस किया।
शत-प्रतिशत फसल नुकसान मानें
प्रशासन प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन ने जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि जिन किसानों ने कम वर्षा की वजह से अपने खेतों में खड़ी फसलें जुतवा दी हैं उनकी क्षति शत-प्रतिशत मानी जाए। साथ ही उनका विवरण राहत आयुक्त के कृषि निवेश माड्यूल पर फीड किया जाए।
खेत देखने गांवों में पहुंचे थे कृषि अधिकारी
आप के अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने 25 अगस्त के अंक में किसानों की पीड़ा प्रमुखता से प्रकाशित की थी। दूसरे दिन कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम गांवों में पहुंच गई। कौड़ीराम ब्लॉक के सिसायल गांव में 16 बीघा धान की फसल जुतवाने वाले शैलेंद्र सिंह व गिरिजेश सिंह बात की। किसानों ने बताया कि अब वे सिंचाई का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं।
सूखे पर 11 तक शासन को भेजनी होगी रिपोर्ट
कम बारिश के चलते सूखे की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए सघन जांच कराई जाएगी। राजस्व विभाग की टीमें खेतों तक जाएंगी और प्लाटवार सर्वे कर सूखे की असलियत का पता लगाएंगी। जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने शासन के निर्देश के बाद सभी एसडीएम को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं।
सभी तहसीलों से 11 सितंबर तक विस्तृत रिपोर्ट जिलाधिकारी को देनी होगी, जिसे 14 सितंबर तक शासन को भेजा जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रभावित गांवों में से 10 प्रतिशत गांवों का विस्तृत सत्यापन किया जाएगा। इस संबंध में सभी सूचनाएं राहत आयुक्त की वेबसाइट पर 12 सितंबर की रात आठ बजे तक हर हाल में अपलोड करनी होगी। जिलाधिकारी ने कहा कि सूखे से जुड़े इस कार्य में किसी भी दशा में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
शासन की टीम भी पहुंच गई थी गोरखपुर
धान की फसलें जुतवाने को मजबूर किसानों की पीड़ा और बेबसी शासन ने भी महसूस की। शासन स्तर से अपर निदेशक कृषि रक्षा त्रिपुरारी प्रसाद चौधरी के नेतृत्व में कृषि अधिकारियों की टीम गोरखपुर पहुंची थी और किसानों के सूखते खेतों का हाल जाना था।