समय से मरीजों को मिले जांच और इलाज की सुविधा
टीबी मरीजों की समय से सूचना दें प्राइवेट चिकित्सक
उरई(जालौन)| वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकारी के साथ प्राइवेट चिकित्सक, औषधि विक्रेता और फंटलाइन वर्कर के साथ जनसमुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने की जरूरत है। इसके लिए योजना बनाकर काम किया जाए। यह निर्देश जिलाधिकारी चांदनी सिंह ने जिलाधिकारी कार्यालय सभागार में प्राइवेट चिकित्सकों और औषधि विक्रेताओं के साथ आयोजित बैठक में दिए।
जिलाधिकारी ने बताया कि टीबी उन्मूलन के लिए जरूरी है कि समय से मरीज की जांच के साथ उसका इलाज भी सुनिश्चित हो। इसके लिए सरकारी और प्राइवेट चिकित्सक मिलकर काम करें। पंजीकरण का काम निक्षय पोर्टल पर करने के साथ ही क्षयरोगियों को मिलने वाली पांच सौ रुपये प्रतिमाह की पोषण राशि भी दिलाई जाए। साथ ही गोद लेने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ाई जाए। उन्होंने सभी टीबी मरीजों की यूनीवर्सल ड्रग सेंसविटी टेस्ट (यूडीएसटी) जांच, एचआईची और कोरोना जांच भी कराने के निर्देश दिए।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनडी शर्मा ने सभी चिकित्साधिकारियों को निर्देशित किया कि टीबी संबंधी मांगी गई सूचनाएं देने में कोताही न बरती जाए। मरीजों को समय से इलाज उपलब्ध कराया जाए। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार भिटौरिया ने बताया कि इस समय सरकारी अस्पताल में 1319 मरीज उपचाराधीन है। जबकि प्राइवेट चिकित्सकों के पास 300 मरीज इलाज करा रहे हैं। इनमें 1188 मरीज गोद लिए जा चुके है। सभी मरीजों को गोद लेने की योजना बनाकर काम किया जा रहा है। सभी उपचाराधीन मरीजों के खाते में पांच सौ रुपये प्रतिमाह के हिसाब से धनराशि भेजी जा रही है। उन्होंने बताया कि क्षय रोगियों के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राजकीय मेडिकल कालेज और सीएचसी, पीएचसी स्तर से भी जांच बढ़ाने को कहा गया है। इस दौरान डब्लूएचओ के सलाहकार डॉ पवन कुमार पालीवाल, एनटीईपी के डीपीसी नुरुल हुदा, डीपीपीएम आलोक मिश्रा, डॉ जेके माहेश्वरी, डॉ अशोक अग्रवालआदि मौजूद रहे।