कानपुर देहात में शुक्रवार को एक बच्चा सरकारी सिस्टम के भेंट चढ़ गया। कड़ाके की ठंड में जब परिवार सो रहा था, तभी भोर पहर कच्चा घर ढह गया। मलबे में दबकर बच्चे की मौत हो गई, उसके माता-पिता और दो बहनों की हालत गंभीर बनी है। खास बात ये है कि घायल दंपती आवास के लिए कई बार एसडीएम से लेकर डीएम तक प्रार्थना पत्र दे चुके थे। इसकी रिसीविंग भी उनके पास है। सरकारी मुलाजिमों ने हर प्रार्थना पत्र पर नियमों की दरकार देकर उन्हें आवास के लिए इंतजार करने की बात कही थी। नतीजा ये हुआ कि पूरी परिवार की जान पर आफत आ गई।
सिकंदरा तहसील के चितवाखेड़ा गांव के गिरजेश कुमार के परिवार पर शुक्रवार को आफत आ गई। वह गांव में ही कच्चे घर पर तिरपाल डालकर गुजर कर रहे थे। सर्द हवाओं और घने कोहरे में पूरा परिवार उसी कच्ची छत के नीचे सो रहा था, तभी करीब साढ़े चार बजे पूरा घर ढह गया। परिवार के सभी लोग मलबे में दब गए। आसपास के लोगों ने घर गिरने की आवाज सुनी तो मौके पर पहुंचे। घायलों को मलबे से निकाल कर जिला अस्पताल पहुंचाया गया। वहां डाक्टर ने तीन माह के प्रतीक को मृत घोषित कर दिया। जबकि गिरजेश, उसकी पत्नी ललिता, पांच वर्षीय आकांक्षा, तीन वर्षीय शिखा को भर्ती कर उपचार शुरु किया। घर के एक हिस्से में बंधी दो बकरियां और भैंस भी मलबे में दबकर मर गई है।
गांव पहुंची एसडीएम बोली दुखद घटना
घटना के बाद सिकंदरा तहसील प्रशासन हरकत में आया। एसडीएम डॉ. पूनम गुप्ता मौके पर पहुंची। आसपास के लोगों से घटना के बावत जानकारी ली। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा संज्ञान में आया है कि पीड़ित परिवार ने आवास की मांग की थी। इस पर ब्लॉक के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि घायल दंपती का नाम आवास की पात्रता सूची में है। धन आने पर उन्हें पहली किश्त दी जानी थी। एसडीएम ने कहा कि इसकी जांच कराई जा रही है कि पीड़ित परिवार को समय रहते आवास क्यों नहीं मिला। साथ अन्य ऐसे परिवारों की सूची भी ब्लॉक के कर्मिचारियों से मांगी गई है। उन्हें भी योजना का लाभ दिलाया जाएगा। पीडि़त परिवार को हर संभव मदद दी जा रही है।
अब तक क्यों नहीं मिला आवास
मुख्यमंत्री आवास योजना ऐसे ही परिवारों के लिए जिनके घर बारिश में गिर गए हैं या फिर बेहद जर्जर हैं। इसके बाद भी जरूरतमंदों को पक्की छत नसीब नहीं हो पा रही है। घटना के बाद गांव के लोग सरकारी सिस्टम पर सवाल उठाते रहे। ग्रामीणों ने बताया कि आवास के लिए गिरजेश ने कई बार मांग की। बीडीओ, एसडीएम से लेकर डीएम तक सबकी चौखट में वह जाकर आवास की हालत बता चुका था। उसके पास प्रार्थना पत्रों की कई रिसीविंग भी हैं। इसके बाद भी उसे आवास नसीब नहीं हो सका। इससे उसके मासूम बच्चे की जान चली गई। उसका बड़ा नुकसान भी हुआ है।
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