समाजवादी पार्टी (सपा) के मीडिया प्रकोष्ठ के पदाधिकारी मनीष जगन अग्रवाल को सोशल मीडिया पर महिलाओं के प्रति कथित अभद्र टिप्पणी करने के आरोपों में रविवार सुबह लखनऊ के हजरतगंज इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया।
अग्रवाल के खिलाफ यौन उत्पीड़न समेत विभिन्न आरोपों में प्राथमिकी दर्ज कराने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता ऋचा राजपूत के खिलाफ भी सपा के प्रांतीय अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की तहरीर पर रविवार को मुकदमा दर्ज किया गया।
अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव राज्य पुलिस मुख्यालय पहुंच गए। उनके साथ सपा के कार्यकर्ता भी अग्रवाल की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर मुख्यालय के बाहर जमा हो गए। इस दौरान करीब ढाई घंटे तक ‘अपरा-तफरी की स्थिति रही।
पुलिस उपायुक्त (मध्य) अर्पणा रजत कौशिक ने बताया कि अग्रवाल को आज सुबह हजरतगंज से गिरफ्तार किया गया; उन पर सोशल मीडिया पर महिलाओं के प्रति अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है।
भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की उत्तर प्रदेश इकाई की सोशल मीडिया प्रभारी ऋचा राजपूत द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर गत चार जनवरी को हजरतगंज थाने में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 354 (ए) (यौन उत्पीड़न), 504 (जानबूझकर अपमान) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पुलिस को दी गई शिकायत में ऋचा ने सपा मीडिया प्रकोष्ठ के ट्विटर अकाउंट पर की गई कई टिप्पणियों का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि “समाजवादी पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने धमकी दी है कि मेरे साथ बलात्कार किया जाएगा। उन्होंने मुझे जान से मारने की भी धमकी दी है। उन्होंने मेरे खिलाफ अभद्र टिप्पणी भी की है।”
अग्रवाल इस हैंडल का संचालन करते थे। इस हैंडल के संचालनकर्ताओं के खिलाफ पहले भी दो मुकदमे दर्ज कराए जा चुके हैं।
अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पूर्वाह्न करीब 11 बजे गोमतीनगर स्थित पुलिस मुख्यालय पर अचानक पहुंचे। उनके साथ सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी और पार्टी प्रान्तीय अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भी मौजूद थे।
पार्टी ने अखिलेश और उनके साथियों की तस्वीरों को साझा करते हुए ट्वीट किया, ”मुख्यालय में कोई जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद नहीं है।”
इस बीच, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने यहां पुलिस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में अखिलेश की तरफ इशारा करते हुए कहा, “एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (अखिलेश यादव) अन्य विधायकों के साथ डीजीपी मुख्यालय आए थे। उन्होंने पूछा कि सपा के मीडिया प्रकोष्ठ से जुड़े मनीष जगन अग्रवाल को क्यों गिरफ्तार किया गया। उन्हें (अखिलेश) बताया गया कि अग्रवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और उसकी गिरफ्तारी विस्तृत जांच के बाद की गई है।”
उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई कानून के प्रावधानों के अनुरूप है।
कुमार ने कहा, “उस व्यक्ति (अग्रवाल) ने समय-समय पर शालीनता की हदें पार कीं और ट्वीट किए। उन्होंने पत्रकारों के खिलाफ अभद्र भाषा और जातिवादी भावना के साथ ट्वीट भी किया था।”
इस बीच, समाजवादी पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने भी भाजयुमो की सोशल मीडिया प्रभारी ऋचा राजपूत के खिलाफ हजरतगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है।
सपा प्रवक्ता चौधरी ने बताया कि ‘‘पटेल ने ऋचा राजपूत के खिलाफ हजरतगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राजपूत ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके परिवार के खिलाफ निहायत आपत्तिजनक अभद्र टिप्पणियां की हैं।’’
सपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से साझा की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति के मुताबिक भाजपा नेता राजपूत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (अश्लीलता) और 509 (स्त्री लज्जा का अनादर) तथा सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 की धारा 67 (अश्लील सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित या पारेषित करना) तथा 67(क) (लैंगिक प्रदर्शन का कार्य या आचरण) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
सपा ने अग्रवाल की गिरफ्तार को ‘शर्मनाक’ बताते हुए उन्हें फौरन रिहा करने की भी मांग की है।
पार्टी ने ट्वीट किया, ”समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता मनीष जगन अग्रवाल को लखनऊ पुलिस के द्वारा गिरफ्तार करना निंदनीय एवं शर्मनाक! सपा कार्यकर्ता को अविलंब रिहा करे पुलिस।”
सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने दावा किया कि अखिलेश के पुलिस मुख्यालय पहुंचने के लगभग आधे घंटे बाद लखनऊ के संयुक्त पुलिस आयुक्त पीयूष मोर्डिया पुलिस मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने बताया कि इस दौरान सपा अध्यक्ष ने उनसे (मोर्डिया से) अग्रवाल की गिरफ्तारी के कारणों के बारे में पूछा। इस पर मोर्डिया ने कहा कि मामले की पड़ताल की जा रही है और कोई भी अवैध कार्रवाई नहीं की गई है।
चौधरी ने बताया कि अखिलेश और उनके साथ पुलिस मुख्यालय पहुंचे अन्य नेता बाद में अग्रवाल से मिलने के लिए लखनऊ कारागार भी गए।
इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस मुख्यालय के एक गेट पर धरना प्रदर्शन और नारेबाजी की। बाद में पुलिस ने उन्हें तितर-बितर कर दिया।