यंग भारत ब्यूरो
जोशीमठ (Joshimath Dham) में एक ओर हो रहे भूस्खलन से जहां शासन-प्रशासन और स्थानीय लोगों के बीच हड़कंप मचा हुआ है. वहीं दूसरी ओर टिहरी डैम की झील के पानी के उतार-चढ़ाव के चलते टिहरी झील (Tehri Lake) से सटे गांवों में भी भूस्खलन-भूधसाव जारी है. ग्रामीण टिहरी झील की मार के बीच दहशत में जीने को मजबूर हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. टिहरी झील से सटे भटकंडा गांव में करीब एक दर्जन परिवार इन दिनों डर के साये में जीने को मजबूर है. दरअसल पुर्नवास नीति के तहत उन्हें मुआवजा दिया जाना था जो अभी तक नहीं मिल पाया है.
स्थानीय लोगों के अनुसार घरों में बढ़ रही दरारें और खेती की जमीन में हो रहे भूधसाव से वे लोग दहशत के साये में जी रहे है. बल्लियों के सहारे लटके घरो में लोग बच्चों के साथ रह रहे हैं. लोगों के अनुसार सांप बिच्छू भी इन दिनों घरो में आ रहे है जिससे लोगों का जीना और दुभर हो गया है. ऐसे में इन लोगों को अब राज्य सरकार से मदद का इंतजार है. यहां टिहरी झील से सटे ऊठड़, पिपोला, भटकंडा, नंदगांव सहित करीब एक दर्जन गांवों में मकानों में दरारें बढ़ रही हैं, तो कई मकान बल्लियों के सहारे टिके हैं.
बता दें, टिहरी झील प्रभावित ग्रामीण लंबे समय से विस्थापन की मांग कर रहे है, लेकिन अभी तक आंशिक डूब क्षेत्र के इन गांवों का न तो विस्थापन हो पाया और न ही इन्हें मुआवजा मिल पाया है. अब एक बार फिर से बरसात ग्रामीणों के लिए आफत बनकर आई है और ग्रामीण फिर से दहशत के साए में जीने को मजबूर है. एक्सपर्ट कमेटी द्वारा झील प्रभावित गांवों का सर्वे भी कराया गया और करीब 17 गांवों के 415 परिवारों का विस्थापन या मुआवजा देना प्रस्तावित है, लेकिन अभी तक आंशिक डूब प्रभावित इन गांवों की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई है.
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