यंग भारत ब्यूरो
भारतीय सेना में परमवीर चक्र (Param Vir Chakra) विजेताओं में हर एक सैनिक की कहानी निराली है. 1965 को भारत पाकिस्तान (India-Pakistan) के बीच हुए युद्ध में 10 सितंबर को हुई असल उत्ताड़ की लड़ाई आज भी अब्दुल हमीद (Abdul Hamid) के साथ याद की जाती है जिसमें हमीद ने पाकिस्तानी सेना के सात पैटन टैंको को तबाह कर जंग का रुख पलट दिया था. कहा जाता है कि हमीद के इस कारनामे से ही युद्ध भारत का पलड़ा भारी हो गया और युद्ध भारती जीत के साथही खत्म हुआ. हमीद इसी दिन शहीद हो गए थे.
20 साल की उम्र में ही सेना में
अब्दुल हमीद एक जुलाई 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में एक दर्जी के यहां पैदा हुए थे. हमीद 20 साल की उम्र में सेना में आ गए थे और निसाराबाद ग्रिनेडियर्स रेजिमेटंल सेंटर में प्रशिक्षण के बाद 1955 में हमीद 4 ग्रेनेडियर्स में तैनात कर दिए गए. 8 सितंबर 1965 को जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया, उस समय हमीद पंजाब के तरनतारन जिले के खेम करण सेक्टर में तैनात थे. पाकिस्तान सेना ने अमेरिकी पैटन टैंकों से खेमकरण सैक्टर के असल उत्ताड़ गांव पर हमला कर दिया.
केवल 3 नॉट 3 और एलमजी के भरोसे टैंकों से मुकाबला
असल उत्ताड़ पर हुआ हमला चौंकाने वाला था. उस समय वहां तैनात भारतीय सैनिकों के पास ना तो टैंक थे और ना ही बड़े हथियार थे. उनके पास साधारण थ्री नॉट थ्री के साथ केवल लाइट मशीन गन थीं. एंटी टैंक डिटैचमेंट कमांडर ना होने की स्थिति में हमीद ने टैंकों से निपटने का जिम्मा ले लिया. उन्होंने अपनी जीप में बैठकर अपनी गन से पैटन टैंकों को एक-एक कर नष्ट करना शुरू कर दिया.
पहले दिन दो टैंक
इस दिन के अंत तक हमीद ने दो टैंक नष्ट कर दिए और चार टैंक खराब कर दिए थे. . हमीद फिर सेना के इंजीनियरों को बुलाया और क्षेत्र में एंटी टैंक माइन्स बिछाने को कहा. इसके बाद अगली सुबह हमीद फिर अपने गन के साथ निकले जब उनकी सेना पाकिस्तान वायुसेना के सब्रे जेट के हमले का सामना कर रही थी. इस दिन के अंत तक हमीद ने दो और टैंक नष्ट कर दिए थे. दोनों बार पाक सेना को पीछे भागना पड़ा.
क्या हुआ 9 सितंबर को
अगले दिन पाकिस्तान सेना सब्रे जेट से सुबह नौ बजे हमला किया जिसमें बहुत से सैनिक मारे गए. पाक सेना ने इस दिन 9.30, 11.30 और दिन में 2.30 बजे, तीन बार हमला किया, लेकिन शाम तक हमीद ने चार टैंकों को नष्ट कर दिया था. उनकी बटालियन ने कुल 13 टैंक नष्ट कर दिए थे और कई खराब कर दिए थे.
10 सितंबर 1965 का दिन
तीसरे दिन सुबह 8 बचे पाकिस्तान पैटन टैंकों ने फिर से हमला किया जिसमें तीन टैंकों में एक आगे था और बाकी दो उसके पीछे थे. इसके बाद 9 बजे पाकिस्तानी सेना ने गोलीबारी से अपना हमला और तेज किया. इस बार हमीद ने एक और टैंक ध्वस्त कर दिया. उनकी जीप खुली थी और वे आसानी से गोली बारी के शिकार हो सकते थे. इसलिए वे दूसरी जगह पर चले गए. हमीद और एक पाकिस्तानी टैंक ने जल्दी ही एक दूसरे को एक साथ देख लिया वे जल्दी अपनी जगह नहीं बदल सकते थे. दोनों ने एक ही साथ एक दूसरे पर हमला किया जिसमें हमीद गंभीर रूप से घायल हो गए.
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