बसपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस को लेकर दिए गए अपने बयान को वापस लेने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा है कि वह अपने बयान पर कायम हैं और वह अपना बयान वापस नहीं लेने वाले हैं. इसी बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मौर्य को तलब किया है.
वह सपा प्रमुख के सामने अपना पक्ष रखने के लिए राजधानी लखनऊ स्थित सपा कार्यालय गए हुए हैं. सपा कार्यालय में दोनों नेताओं की बातचीत चल रही है. सपा प्रमुख से मिलने से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि वह अपने स्टैंड पर कायम हैं.
‘दलितों का अपमान करती है रामचरित मानस’
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि रामचरित मानस में जो कहा गया है वह देश के दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का अपमान है. उन्होंने कहा कि मानस से इस दोहे को हटाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भूपेंद्र चौधरी माफी मांगने को कह रहे हैं लेकिन वो हमारी पार्टी के नेता नहीं हैं. समाजवादी पार्टी के जो नेता माफी मांगने को कह रहे हैं वह जाति विशेष के लोग हैं. मैं आज भी अपने सच के साथ खड़ा हूं.
इससे पहले सपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों से किनारा कर लिया था. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने मौर्य के बयान से किनारा करते हुए कहा था कि सपा राम और कृष्ण के आदर्शों पर चलने वाली पार्टी है.
क्या बोले थे स्वामी प्रसाद मौर्य?
स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदास की लिखी रामचरित मानस को बैन करने की मांग की थी. उन्होंने बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री को भी पाखंडी करार दिया था. शनिवार 28 जनवरी को अपने एक ट्वीट में मौर्य कहा कि उन्होंने देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के सम्मान की बात क्या कर दी, मानो भूचाल आ गया.
एक-एक करके संतो, महंतों, धर्माचार्यों का असली चेहरा बाहर आने लगा. सिर, नाक, कान काटने पर उतर आये. कहावत सही है कि मुंह में राम बगल में छुरी. धर्म की चादर में छिपे, भेड़ियों से बनाओ दूरी.
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