औरैया के बैशौली में 4 महीने पहले 10वीं में पढ़ने वाले दलित छात्र की मौत हुई। आरोप था कि स्कूल टीचर ने बच्चे को जाति सूचक गालियां देते हुए घूसों से पीटा। बाल नोच लिए। नाक से खून निकला तब जाकर छोड़ा। बच्चे को इंटर्नल इंजरी हुई। पिता बच्चे को लेकर एक के बाद एक हॉस्पिटल में चक्कर लगाते रहे। लेकिन, 18 दिन बाद बच्चे की मौत हो गई।
मौत के बाद लोगों ने हंगामा किया और पुलिस पर पथराव करते हुए गाड़ियां फूंक दी। प्रशासन के अधिकारी पहुंचे। परिवार को 3 लाख रुपए का चेक दिया। लोगों को समझाया। तब जाकर प्रदर्शन शांत हुआ। लेकिन, अब वह चेक बाउंस हो गया है।
दैनिक भास्कर की टीम इस पूरे मामले में स्थिति जानने बैशौली गांव पहुंची। जिस बच्चे की मौत हुई थी उसके मां-बाप से मिली। भाई की पिटाई को देखने वाले छोटे भाई से बात की। मामले में सरकार के वादों और हकीकत को भी जाना।
मात्रा की एक गलती देखी तो 15 मिनट तक मारता रहा टीचर
15 साल का निखित घर से करीब 2 किलोमीटर दूर आदर्श इंटर कॉलेज अछल्दा में पढ़ाई करता था। 7 सितंबर 2022 को उसका सामाजिक विज्ञान का टेस्ट था। मां रेखा देवी ने सुबह-सुबह निखित के लिए रात में रखी रोटी और सब्जी दी।
जिसे खाकर निखित और उसका छोटा भाई अभिषेक स्कूल के लिए निकल लिए। टेस्ट के लिए निखित की तैयारी पूरी थी इसलिए वह खुश था। स्कूल पहुंचा तो टेस्ट के लिए OMR शीट दी गई। इसमें नाम और विषय लिखना था।
OMR शीट पहली बार निखित को मिली थी, इसलिए हड़बड़ी में उसने सामाजिक विज्ञान को ‘समाजक विज्ञान’ लिख दिया। दूसरी गलती उसने पेंसिल से एक गलत खाने को ब्लैक कर दिया। उस क्लास में ड्यूटी कर रहे अश्विनी सिंह ने निखित की शीट चेक की तो गुस्से से आगबबूला हो गया। उसने बच्चे को सीट से उठाया और पिटाई शुरू कर दी।
पहले हाथों से पीटा। फिर उसका सिर अपनी जांघ में फंसाकर पीठ पर घूसे मारने लगा। बाल इतनी जोर से उखाड़े कि वह टूटकर टीचर के हाथ में आ गए। इस दौरान गालियां भी दी। करीब 15 मिनट तक पीटने के बाद जब बच्चे की नाक से खून आ गया तब जाकर टीचर ने उसे छोड़ा।
छोटे भाई को कसम दी कि घर पर नहीं बताना
पिटाई से निखित की हालत खराब हो गई। उसी स्कूल में छोटा भाई अभिषेक छठी क्लास में पढ़ता था। उसे बुलाया गया और निखित को घर ले जाने के लिए कहा। अभिषेक जब भाई को लेकर घर आ रहा था, तब निखित ने उसे कसम दी कि घर पर पिटाई की बात मम्मी-पापा से नहीं बताना। अभिषेक ने कसम के चलते घर पर कुछ नहीं बताया। दूसरी तरफ उसी दिन मां रेखा देवी कुछ दिन के लिए मायके चली गईं।
तीन दिन बाद निखित की हालत खराब होने लगी। उसे तेज बुखार और पेट में दर्द शुरू हो गया। पिता राजू ने पहले अलच्छा से ही दवा ली। लेकिन, उससे कोई फायदा नहीं हुआ। वह बच्चे को लेकर इटावा पहुंचे। अस्पताल में इलाज शुरू हुआ, तो मां भी अपने मायके से वापस निखित के पास पहुंच गई। लेकिन, आराम होने के बजाय दिक्कत बढ़ती जा रही थी। जांच हुई तो पता चला पिटाई के बाद से पेट में सूजन बढ़ने लगी है।
टीचर ने पहले 10 फिर 30 हजार दिए
दूसरी तरफ आरोपी टीचर अश्वनी को निखित की गंभीर हालत की जानकारी हुई, तो वो डर गया। उसने राजू को 10 हजार रुपए दिए। तीन दिन बाद फिर टीचर ने 30 हजार रुपए दिए। इटावा में डॉक्टरों ने निखित की हालत देखकर उसको लखनऊ ले जाने को कहा। राजू ने किराए पर गाड़ी बुलाई और लखनऊ लेकर चले गए।
दो दिन बाद वहां से सैफई मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया। निखित दर्द से कराह रहा था, लेकिन उसे कोई डॉक्टर राहत नहीं दे पा रहा था। दूसरी तरफ आरोपी टीचर ने भी अब इलाज के लिए पैसा देने से मना कर दिया था।
पिता राजू बच्चे को लेकर भागते रहे। सैफई में भी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। 15 दिन हो गए थे निखित को दर्द से कराहते हुए। एक बार फिर से उसे लखनऊ के लिए रेफर किया गया। राजू बच्चे को लेकर पीजीआई पहुंचे। भर्ती के लिए इस काउंटर से उस काउंटर तक चक्कर लगाते रहे, लेकिन उनके बेटे को भर्ती नहीं किया गया।
दर्द से तड़पते बच्चे को बचा पाने की हर संभव कोशिश में वो अब फेल नजर आने लगे। उनके पास अब कोई विकल्प नहीं बचा। पैसे भी खत्म हो गए। दोबारा बच्चे को लेकर सैफई पहुंचे। अगले ही दिन यानी 25 सितंबर को बेटे निखित की मौत हो गई।
गुस्साई भीड़ ने पुलिस की गाड़ी फूंक दी
बच्चे की मौत हुई तो उसका पोस्टमॉर्टम किया गया और फिर 26 सितंबर को शव परिजनों को सौंप दिया गया। बच्चे की लाश एम्बुलेंस के जरिए घर आई। इधर, गांव की भीड़ उग्र हो गई। रात के 8 बजे शव को स्कूल के सामने ही रखकर फफूंद-औरैया रोड जाम कर दिया गया।
प्रशासन को खबर लगी तो मौके पर भारी पुलिस फोर्स पहुंची। परिजनों और पुलिस में नोक-झोंक हो गई। पुलिस ने लाश को रखने के लिए लाए फ्रीजर को तोड़ दिया। इससे भीड़ उग्र हो गई।
लाठीचार्ज के बाद बाइक पर बेटे का शव लेकर घर गए
भीड़ की तरफ से पथराव शुरू हो गया। पुलिस ने लाठीचार्ज की तभी किसी ने पुलिस की गाड़ी में आग लगा दी। प्रदर्शन हिंसक होता गया। राजू अपने बेटे की लाश को बाइक पर रखकर घर पहुंचे। तभी गांव में एडीजी भानु भास्कर, आईजी प्रशांत कुमार, कमिश्नर राजशेखर, डीएम प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव, एसपी चारू निगम पहुंची। परिजनों को समझाया और उन्हें आरोपी के खिलाफ कठोर कार्रवाई और 3 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने की बात कही।
आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की स्पेशल टीमें गठित हुईं। 2 दिन बाद ही अश्वनी सिंह को ग्वारी के पेट्रोल पंप के सामने से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। इसके अतिरिक्त प्रदर्शन करने वाले 35 नामजद व 250 अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज हुआ।
डीएम ने कहा- वो चेक प्रतीकात्मक था
औरैया के डीएम चंद्र प्रकाश श्रीवास्तव ने चेक को लेकर कहा, “वो चेक प्रतीकात्मक रूप से दिया गया था। पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आई तो पता चला कि बच्चे की मौत किडनी खराब होने के कारण हुई। इसके बाद पुलिस ने आरोपी पर लगी हत्या की धाराएं हटा दी और वो चेक कैंसिल कर दिया गया।”
हालांकि, जो चेक दिया गया वह प्रतीकात्मक नजर नहीं आता। उसमें डीएम के सिग्नेचर भी मौजूद थे। राजू बताते हैं, “हमसे कहा गया कि एक दिन में पैसा खाते में आ जाएगा। हम बैंक लेकर गए तो बताया गया कि चेक बाउंस हो गया। हम डीएम के पास तीन बार जा चुके हैं वो अब कहते हैं, उस वक्त भीड़ को शांत करने के लिए चेक दिया गया था। अब तक एससी-एसटी एक्ट के तहत 8 लाख रुपए जो मिलने थे वह भी नहीं मिला।”