भगवती मिश्रा- प्रभारी जालौन तहसील + त्रिलोकी नाथ गुप्ता
नगर में फायलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम 10 फरवरी से प्रारंभ
जालौन। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम जालौन में 10 फरवरी 2023 से आरंभ हो रहा है, जो 27 फरवरी तक चलेगा। कार्यक्रम में जालौन नगर में 52 टीमें कार्य करेगी जिनको 9 सुपरवाइजर सुपरवाइज करेंगे। सीएचसी प्रभारी डॉ के डी गुप्ता ने बताया कि फायलेरिया उन्मूलन अभियान के अंतर्गत फायलेरिया(हाथीपाँव,हाइड्रोशील,हाथ व पैरों में सूजन) जैसी खतरनाक बीमारी से बचाव के लिए सरकार द्वारा सामूहिक दवा सेवन अभियान के दौरान निशुल्क दवा खिलाई जाएगी।स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों द्वारा घर घर जाकर 01 से 02 वर्ष के बच्चों को आधी गोली एल्बेंडाजोल 200 एम जी पीसकर, 02 वर्ष से अधिक उम्र वर्ग को 01 गोली एल्बेंडाजोल 400 एम जी ,02 वर्ष से 05 वर्ष तक के बच्चों को 01 गोली डी ई सी 100 एम जी 05 से 15 वर्ष के बच्चों को 2 गोली डी ई सी 200 एम जी 15 वर्ष से ऊपर के आयु के सभी लोगो को 03 गोली डी ई सी 300 एम जी का सेवन खाना खाने के उपरांत कराया जाएगा ।(गर्भवती महिलाओं व गम्भीर रोग से पीड़ित लोगों को छोड़कर) खाली पेट किसी को दवा नही खिलाई जाएगी।
बिना बुलाये बेटी को पिता के घर नही जाना चाहिए -पं अरविंद ब्रह्मचारी
जालौन।रामपुरा में श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन पं अरविंद ब्रह्मचारी ने भागवत कथा के महत्व का वर्णन किया।ब्रह्मचारी जी ने कहा कि कथा को बार-बार सुनना चाहिए जिससे हमारे हृदय का अज्ञान दूर हटकर हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है। महाराज श्री ने कथा में बताया कि जहां अपमान हो,आदर न हो तो ऐसी जगह पर बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए। माता सती बिना बुलाए पिता के यज्ञ में गई।वहां पर माता सती को अपना और शंकर भगवान का अपमान सहन नहीं हुआ और योग अग्नि से अपने शरीर को जलाकर भस्म कर दिया।महाराज श्री अरविंद ब्रह्मचारी ने कहा कि भगवान को पाने के लिए अधिक उम्र का होना या धन का होना आवश्यक नहीं है। भक्त ध्रुव ने साढ़े पांच वर्ष की उम्र में ही भगवान को तपस्या कर के प्राप्त कर लिया था।भागवत में लिखा है कि भगवान ध्रुव को दर्शन देने नहीं बल्कि ध्रुव का दर्शन करने के लिए आए। महाराज श्री ने बताया की बुरे संग में होने के बाद भी अजामिल जैसे डाकू भी भगवान के नाम और संतों की कृपा से परम पद को प्राप्त कर गया। इसलिए मनुष्य को जीवन में हमेशा भगवान का सुमिरन करते रहना चाहिए, क्योंकि इस जीवन कुछ पता नहीं कौन सा पल हमारे लिए आखिरी पल हो। जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है। वह वैसा ही फल भोगता है। गज ग्राह की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि हमें कभी भी रुपये, यौवन, संपत्ति, शक्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए। गज को अपनी ताकत पर अभिमान था, लेकिन संकट में उसकी ताकत और परिवार काम नहीं आया। अंत में हारकर उसने नारायण को पुकारा और नारायण ने उसकी रक्षा की। इस मौके पर परीक्षित चतुर सिंह सेंगर,कृष्णपाल सिंह सेंगर,नरेंद्र पाल सिंह सेंगर के साथ सैकड़ों श्रोताओं ने कथा का श्रवण किया।
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