लखनऊ: पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज के बाद अब सरकारी अस्पताल भी चलाए जा सकते हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में ‘हेल्थ केयर थ्रू इन्वेस्टर्स लेंस पोसट कोविड सिनेरियो’ सेशन के दौरान डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि हम प्रयोग के तौर पर पीपीपी मॉडल पर सरकारी अस्पताल चलाने के बारे में विचार कर रहे हैं। इसपर भी निवेशक विचार करें। वहीं, इसी सत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्य क्षेत्र का दायरा बढ़ा दिया है। इससे निवेश की संभावनाएं बढ़ी हैं। हमारी सरकार गरीबों और किसानों के लिए है, लेकिन उद्योग के लिए भी दरवाजे खुले हैं।
मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ़ नरेश त्रेहन ने कोविड के बाद की परिस्थतियों में ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर किए जाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि एक बड़ी आबादी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है। हमें उस पॉलिसी पर काम करने की जरूरत है, जिससे कि निवेशक ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश के लिए आकर्षित हों। बड़े अस्पताल वहां खोलें। डॉक्टर पैथ लैब के प्रबंध निदेशक डॉ. ओपी मनचंदा ने कहा कि हमारा 20 प्रतिशत इन्फ्रास्ट्रक्चर उत्तर प्रदेश में है। हमारे कलेक्शन सेंटर्स में से 90 प्रतिशत तहसील स्तर पर हैं। उन्होंने सरकार को सुझाव दिए कि उसे प्रयास करने चाहिए ताकि यूपी मेडिकल इक्विपमेंट का हब बन सके। इस क्षेत्र में यूपी में बड़ी संभावनाएं हैं।
’25 हजार स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर हेल्थ एटीएम लगाएं निवेशक’
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि यूपी सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है। ऐसे में यहां स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश का दायरा काफी बड़ा है। सरकार का फोकस जनता को बेहतर इलाज दिलाने पर है। निवेशकों को किफायती और बेहतर इलाज उपलब्ध करवाने के बारे में सोचना चाहिए। निवेशक प्रदेश के 25 हजार स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर हेल्थ एटीएम लगाएं।
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