प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान और उनकी संस्थाओं के नाम फतेहपुर जिले में दर्ज 72 इंडस्ट्रियल प्लॉटों का अलॉटमेंट मंगलवार को कैंसल कर दिया गया। यह फैसला मंगलवार को फतेहपुर में गुपचुप बुलाई गई उद्योग बंधु की एक स्पेशल मीटिंग में किया गया। इस मीटिंग के बाद जारी बयान में बताया गया कि अभिनव सेवा संस्थान और सीमा सेवा संस्थान को मिनी इंडस्ट्रियल एरिया सधुवापुर और चकहता में आवंटित प्लॉटों को सरेंडर करने के लिए सूचित किया गया है। प्लॉटों का अलॉटमेंट कैंसल कर दिया गया है।
प्रदेश सरकार के एमएसएमई मंत्री राकेश सचान और उनकी दो संस्थाओं अभिनव सेवा संस्थान और सीमा सेवा संस्थान के नाम फतेहपुर के मिनी इंडस्ट्रियल एरिया में 72 प्लॉट दर्ज हैं। इनका आवंटन 2012 में हुआ था। शिकायतकर्ता लघु उद्योग भारती के फतेहपुर अध्यक्ष सतेंद्र सिंह ने प्रमुख सचिव को पत्र भेज पूरे मामले की जानकारी दी थी। सतेंद्र ने बताया था कि प्लॉट के लिए दी जाने वाली शुरुआती 10 प्रतिशत सिक्यॉरिटी मनी भी दोनों संस्थाओं की तरफ से जमा नहीं कराई गई थी। मामला सामने आने के बाद उद्योग विभाग ने अंदरूनी तौर पर जांच के बाद तय किया कि आवंटन रद कर दिए जाएं।
मामला सुर्खियों में आने के बाद दोनों संस्थाओं की तरफ से राकेश के पिता उदय नारायण सचान ने डिप्टी कमिश्नर उद्योग को पत्र भेजा था। चिट्ठी में दावा किया गया कि 26 अप्रैल, 2012 को आवंटन के बाद पहली बार 15 फरवरी 2023 को बताया गया कि संस्था को प्लॉट अलॉट किए गए हैं। प्लॉट की पूरी कीमत मई-2012 के आवंटन पत्र के हिसाब से 15 दिनों में जमा की जानी थी, लेकिन अलॉटमेंट के बारे में ही पता नहीं चला। आपत्ति जताई कि आवंटन की शर्तों को पूरा न करने पर 15 दिन में अलॉटमेंट कैंसल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी तो 10 साल बाद 10 प्रतिशत सिक्यॉरिटी मनी जमा करने के लिए पत्र क्यों जारी किया गया। प्लॉट की दरें 105 रुपये से बढ़कर 880 रुपये हो गई है, इसलिए संस्था ने आवंटित प्लॉटों को सरेंडर करने का फैसला किया है। वहीं अब इस मामले में फतेहपुर में बीते 10 साल में पोस्टेड रहे अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है। तर्क दिया जा रहा है कि उन्होंने इस मामले को सीनियरों के सामने नहीं रखा और न कोई ऐक्शन लिया।
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