प्रयागराज की MP/MLA कोर्ट ने माफिया अतीक अहमद को मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। उम्रकैद की सजा सुनाने वाले जज दिनेश चंद्र शुक्ला की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। अतीक अहमद को सजा सुनाने के बाद शासन की ओर से यह फैसला लिया गया है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान अतीक ने कहा था, “साहब मैं बेकसूर हूं। सरकार आपके कंधे पर बंदूक रखकर चलाना चाहती है।” जस्टिस दिनेश चंद्र शुक्ला रायबरेली के रहने वाले हैं। दिनेश चंद्र शुक्ला 2009 बैच के न्यायिक अधिकारी हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में मौजूद वकीलों ने बताया, जज ने जैसे ही फैसला सुनाया कठघरे में खड़े अतीक को पसीना आ गया। उसका चेहरा उतर गया। अपने भाई अशरफ के गले लगकर फूट-फूटकर रोने लगा। 44 साल में पहली बार अतीक को किसी मामले में सजा सुनाई गई थी। अतीक भाई अशरफ से बोला-भाई अल्लाह ने सलामत रखा तो फिर मिलेंगे।
कोर्ट ने अतीक के साथ ही उनके दो साथियों खान सौलत हनीफ और दिनेश पासी को उम्रकैद की सजा सुनाई। जबकि भाई अशरफ को बरी कर दिया। कोर्ट रूम में अतीक और उसके भाई अशरफ बेहद परेशान नजर आए। उस दौरान जो वकील कोर्ट रूम में मौजूद थे, उनसे बात की। पढ़िए..कोर्ट रूम के आखिरी 30 मिनट में क्या-क्या हुआ।
अतीक बोला-साहब मैं बेकसूर हूं, सरकार आपके कंधे पर बंदूक रखकर चलाना चाहती है
फैसले से पहले अतीक ने जज डॉ. दिनेश चंद्र शुक्ला से कुछ कहने की अनुमति मांगी। जज ने अनुमति दी तो बोला- साहब मैं बेकसूर हूं। मुझे फंसाया गया है। सरकार आपके कंधे पर रखकर बंदूक चलाना चाहती है। मेरा उमेश पाल अपहरण केस में कोई दोष नहीं है। यह मामला देर से दाखिल किया गया। इससे आरोपों की सत्यता पर संदेह है।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी MP-MLA कोर्ट सुशील वैश्य ने बताया कि कोर्ट रूम में तय समय 12:30 बजे से अतीक अहमद सहित अन्य आरोपी 20 मिनट पहले ही पहुंच गए। विशेष न्यायाधीश MP-MLA कोर्ट डॉ. दिनेश चंद्र शुक्ल ठीक 12.30 बजे कोर्ट में पहुंचे। अतीक अहमद समेत 8 आरोपी कठघरे में खड़े रहे। गिल्टी होल्ड किया गया और दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बात रखी।
सजा सुनते ही अतीक ने अशरफ को देखा, फिर दोनों रोने लगे
गिल्टी होल्ड यानी दोषी करार देने के बाद 12.45 बजे सजा के बिंदु पर सुनवाई शुरू हुई। 1 बजे जज डॉ. दिनेश चंद्र शुक्ल जजमेंट लिखवाने चले गए। 1:30 बजे जज वापस कोर्ट रूम में आए। जब सजा का वक्त आया तो माफिया डॉन टेंशन में आ गया। उसके माथे पर पसीना आ गया। जज ने जैसे ही जजमेंट का ऑपरेशनल पार्ट पढ़ना शुरू किया और सुनाया कि अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है। उसे परिवार को एक लाख रुपए क्षतिपूर्ति भी देनी होगी…।
यह सुनते ही अतीक ने भाई अशरफ की तरफ देखा। फिर दोनों भाई फूट-फूटकर रोने लगे। दोनों को रोता देखकर बाकी आरोपी भी रुआंसे हो गए। अतीक ने अशरफ से कहा- अल्लाह ने चाहा तो फिर मुलाकात होगी। बताते हैं कि सात साल पहले दोनों भाई की मुलाकात लखनऊ में हुई थी।
कोर्ट के अंदर वकीलों ने लगाए नारे, अतीक को पीटने की कोशिश
अतीक अहमद को सजा सुनाए जाने के बाद कोर्ट परिसर के बाहर ले जाया जाने लगा ताे अधिवक्ताओं ने उसके खिलाफ नारेबाजी की। दरअसल, उमेश पाल खुद एक अधिवक्ता थे और अपना केस खुद लड़ रहे थे। अधिवक्ता होने के कारण ही उमेश इस केस की इतनी मजबूत पैरवी कर पाए। उमेश की 24 फरवरी को हत्या के बाद अधिवक्ताओं में अतीक के प्रति गुस्सा था। उमेश जब अपनी वकील की वर्दी में थे, तभी उनकी हत्या भी हुई थी।
कोर्ट के फैसले के बाद जब अतीक परिसर से बाहर निकलने लगा तो कुछ वकीलों ने उसको पीटने की कोशिश की। हालांकि, सुरक्षा घेरा तगड़ा होने के कारण पुलिस ने अधिवक्ताओं को हटा दिया। पुलिस ने किसी तरह से उसे कोर्ट परिसर से बाहर निकाला।
अतीक की फोटो को पहनाई जूतों की माला
कोर्ट में उधर सजा सुनाई जा रही थी, इधर कोर्ट परिसर के बाहर उमेश पाल के समर्थक माफिया अतीक अहमद की तस्वीर को जूतों की माला पहनाकर फांसी दो, अतीक को फांसी दो… के नारे लगा रहे थे। कोर्ट परिसर के बाहर भारी संख्या में लोग और अधिवक्ताओं का जमावड़ा था। बीच-बीच में अतीक और अशरफ के खिलाफ नारेबाजी होती रही।
फैसला आने के बाद सैकड़ों अधिवक्ताओं ने कोर्ट परिसर के बाहर खुशी का इजहार व्यक्त किया और कहा कि देर से ही सही अतीक अहमद को न्याय व्यवस्था ने उसके अंजाम तक पहुंचाने का काम किया है। अतीक अहमद को 101 केस में पहली बार सजा सुनाई गई है।
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