हवन पूजन के बाद हुआ कन्या भोज का आयोजन
बडी संख्या में भक्त जवारे लेकर देवी के दरवार पहुंचे
उरई(जालौन)। नवरात्रि की नवमी पर देवी के नौवे स्वरूप सिद्धदात्री का भक्ति भाव से पूजन किया गया। बडी संख्या में भक्त जवारे लेकर देवी के दरवार पहुंचे मान्यता पूरी होने वाले भक्तो ने अपने शरीर को सांग से भेदकर देवी दरवार की परिक्रमा की साथ ही हवन पूजन कर सुख समृद्धि की कामना की। सुबह से ही मंदिरो मे पूजा पाठ का दौर शुरू हो गया। भक्त गाते बजाते मां के दरवार पहुचे।
चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन देवी मंदिरो पर सुबह से ही भारी भीड़ दिखाई दी। मंदिरो मे सुबह से ही पूजा पाठ का दौर शुरू हो गया। श्रद्धालुओ ने फूल नारियल, बतासे, पान, सुपारी सहित अन्य पूजन सामग्री माता रानी के चरणो मे अर्पित की। देर शाम तक पूजा पाठ का क्रम चलता रहा माता रानी के जयकारो से वातावरण गूंज उठा। घरो मे भी लोगो ने विधिवत पूजा पाठ किया। भक्तो ने नवमी देवी सिद्धदात्री का विधि विधान से पूजन अर्चन कर मन्नत मांगी। नवमी के दिन मंदिरो मे हालत यह थी कि भोर का उजाला होने से पहले ही मंदिरो मे भोर से ही गजब की भीड़ हो गई। शहर के हुल्की माता मंदिर, संकटा माता मंदिर, बडी माता मंदिर, शीतला माता मंदिर के साथ जिले के प्रसिद्ध मंदिर बैरागढ मे शारदा माता का मंदिर, सैद नगर मे अक्षरा मंदिर, रक्त दंतिका मंदिर, जालौन वाली माता, बनखण्डी माता सहित अन्य मंदिरो मे भक्तो ने नारियल व अन्य पूजन सामग्री अर्पित कर देवी का पूजन किया। बहुत से भक्त मनोकामना पूरी होने के बाद जवारे लेकर देवी के दरवार गये। प्रसिद्ध पीठो पर जवारे ले गए भक्तो मे कई लोगो ने गाल में लोहे की सांग को छिदवाया। लोहे की सांग को छिदवाकर देवी मंदिरो मे पहुंचे और विधिवत पूजा पाठ किया। तमाम भक्तो मे बच्चो का मुंडन संस्कार करवाया। सभी जगह मंदिरो मे हवन पूजन किया जा रहा था। जिससे वहां पर वातावरण मे हवन की सुगंध फैली हुई थी। घरो मे भी भक्तों ने विधि विधान से देवी जी का पूजन कर प्रार्थना की। देर शाम तक मंदिरो मे भीड बनी रही।