अनिल शर्मा + संजय श्रीवास्तव
बांदा: 1973 में केदारनाथ अग्रवाल की अगुवाई में हुए अखिल भारतीय लेखक सम्मेलन के 50 साल पूरे होने पर आज बांदा में देश के महत्वपूर्ण लेखकों ने एक अनौपचारिक गोष्ठी में उस सम्मेलन की ऐतिहासिकता और आज के दौर में उसकी प्रासंगिकता और नई चुनौतियों पर गंभीर चर्चा की। डीसीडीएफ परिसर में आयोजित इस गोष्ठी में बोलते हुए बनारस से आए प्रगतिशील लेखक संघ के राज्य सचिव संजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह अनायास नहीं है की 1973 के सम्मेलन के बाद बड़ी तेजी से राजनीतिक और सांस्कृतिक बदलाव हुए । उसमें आपातकाल का लगना और लेखक संगठन के तौर पर उसके बाद 1982 में जनवादी लेखक संघ और उसके बाद जन संस्कृति मंच का गठन हुआ । यह नए किस्म के पूंजीवाद और मौजूदा राजनीति पर उसके असर को अपने-अपने ढंग से समझते और व्याख्यायित करते रहे। आज सबसे बड़ी जरूरत है की व्यापक जनवादी समझ के आधार पर संस्कृतिकर्मियों द्वारा जनता की एकता का आह्वान करना और उसे अपने लेखन में व्यक्त करना है। बीएचयू के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और सुप्रसिद्ध विद्वान डॉ अवधेश प्रधान ने 1973 के सम्मेलन में अपनी भागीदारी के संस्मरण का उल्लेख करते हुए बताया कि उस दौर के हिंदी के सबसे बड़े महत्वपूर्ण और लोकप्रिय लेखक उस सम्मेलन में बांदा आए थे और बांदा की सड़कों में उनका ऐतिहासिक स्वागत हुआ था । उसमें कवि नागार्जुन, धूमिल ,भगवतशरण उपाध्याय, और सज्जाद जहीर जैसे लोग शामिल थे। यह केदारनाथ अग्रवाल के व्यक्तित्व और डॉ रणजीत के संयोजन का कमाल था। आज के समय में हमें अलग-अलग सुर अपनाने के बजाय एक स्वर से जनता की समस्याओं को राजनीति और समाज में संबोधित करने की सूरत पर संगठित रूप से आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने 1 दिन पूर्व बांदा में संपन्न हुई गोष्टी की चर्चा करते हुए कहा कि ऐसी गोष्ठियों आज की जरूरतों को समझने के लिए एक अनिवार्य काम है। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति रहे विभूति नारायण राय ने पूर्व के दोनों वक्तव्य से अपनी सहमति व्यक्त करते हुए 1973 से लेकर अब तक के साहित्यिक सांस्कृतिक विकास पर अपनी टिप्पणी दी। पूर्व जनपद न्यायाधीश शक्तिकांत ने 50 वर्ष पहले बांदा में हुए लेखक सम्मेलन के जीवंत संस्मरण प्रस्तुत किए । एडीआर के राज्य समन्वयक अनिल शर्मा,इ वरिष्ठ लेखक गोपाल गोयल जवाहर लाल जलज, कवि केशव तिवारी ने भी अपनी बातें रखें रखी डी सी डी एफ के अध्यक्ष सुधीर सिंह ने इस गोष्ठी का संचालन किया। गोष्ठी में रांची से आए पुरस्कृत उपन्यासकार रणेंद् , भारती ,आनंद सिन्हा,मयंक खरे ,धर्मेंद्र यादव (इलाहाबाद),अनूप राज सिंह कैलाश मेहरा , और अमिताभ खरे ने भी भागीदारी की। गोष्ठी के बाद सभी लेखकों द्वारा बांदा कचहरी के जजी परिसर में स्थापित केदार नाथ अग्रवाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद 2 दिवसीय साहित्य सम्मेलन का समापन हुआ।
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