मलेरिया से बचाव के लिए पूरा इलाज लेना जरूरी
उरई(जालौन)। मलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी होती है। इसमें लापरवाही जानलेवा हो सकती है। इसलिए मलेरिया होने पर पूरा इलाज कराना जरूरी है। मादा एनोफ़िलेज़ मच्छर अपनी लार के माध्यम से प्लास्मोडियम परजीवी फैलाती हैं, जो मलेरिया का कारण बनता है। हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाने का उद्देश्य है कि इस मच्छर जनित रोग को लोग हल्के में न लें। बल्कि इसकी गंभीरता को समझकर समय रहते इसका इलाज कराए। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ जीएस स्वर्णकार बताते है कि मलेरिया मादा एनोफ़िलेज़ मच्छरों के काटने से फैलता है इस प्रजाति के मच्छर शाम या रात को काटते है। जिसकी वजह से तेज बुखार आना, सिरदर्द होना, कंपकपी होना, ठंड लगना आदि जैसे लक्षण रोगी में दिखाई देते है। वह बताते है कि वैसे तो कई प्रजातियों के मच्छर काटने से मलेरिया होता है लेकिन जालौन जनपद के आसपास मादा एनोफ़िलेज़ प्रजाति पाई जाती है। इसके काटने से मलेरिया होता है। यह मच्छर साफ पानी में मिलता है।
समय से लें इलाज तो नहीं होंगे दुष्परिणाम
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी वेक्टर बोर्न डिजीज डॉ अरविंद भूषण बताते है कि मलेरिया में लापरवाही जानलेवा हो सकती है लेकिन यदि मलेरिया बीमारी को जल्दी पकड़ लिया जाए और इलाज किया जाए तो मलेरिया घातक स्थिति नहीं है। सावधानियों का पालन कर हम इसके गंभीर दुष्परिणामों से बच सकते हैं। सावधानियों का पालन कर हम इसके गंभीर दुष्परिणामों से बच सकते हैं।14 दिन का आमूल उपचार जरूरी सहायक मलेरिया अधिकारी अजब सिंह बताते है कि मलेरिया से बचाव के लिए 14 दिन का आमूल उपचार (रेडीकल ट्रीटमेंट) दिया जाता है। 14 दिन की देवा के सेवन करने से मलेरिया पूरी तरह ठीक हो जाता है। इस आमूल उपचार में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। आमूल उपचार लेने वाले व्यक्ति को लौटा (दोबारा मलेरिया) होने की संभावना कम हो जातीहै।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एनडी शर्मा बताते है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयासों का नतीजा है कि मलेरिया के केस लगातार कम हो रहे है। पिछले सात साल के केस देखे तो मलेरिया के केस लगातार कम हुए है। इस साल अभी तक मलेरिया का कोई केस नहीं आया है। संचारी रोग दस्तक अभियान में लोगों के मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के जागरुक किया जा रहा है।