इटौंजा में तालाब हादसे में मरने वाले 10 लोगों की अर्थियां सीतापुर के टिकौली गांव में एक साथ उठाई गईं। गांव में मायूसी छाई थी। लोगों की आंखें नम थीं। गांव में एक भी चूल्हा नहीं जलाया गया। गांव के बाहर एक-एक करके 8 चिताएं लगाई गईं। मां-बेटी की चिता एक साथ सजाई गई। मंगलवार सुबह उन्हें मुखाग्नि दी गई।
2 चिताओं पर 4 शव जलाए गए चुन्नी लाल के खेत में दो चिताएं जल रही थीं। एक चिता पर उनकी पत्नी-बेटी, दूसरी चिता पर उनकी भाभी और भतीजी का शव था। चुन्नी और उनके भाई राम रतन बोलने की स्थिति में नहीं थे। पास में ही उनके तीसरे भाई लल्लन खड़े थे। लल्लन कहते हैं, “मुझे भी मंदिर जाना था। लेकिन, बेटे का एडमिशन करवाने चला गया। जब हादसे का पता चला, तो यकीन ही नहीं हुआ।”
मां के साथ आई थी, मां के साथ चली गई रामरती की दो बहुएं सुषमा, कोमल और पोतियां रुचि, आयुषी की हादसे में मौत हो गई। कल दोपहर से वो सदमें में हैं। बार-बार दोनों पोतियों की तस्वीरें देखकर रोने लगती हैं। घटना के 2 दिन पहले की बात याद करते हुए रामरती कहती हैं, “नवरात्र में मंदिर दर्शन जाने को लेकर रुचि और आयुषी दोनों बहुत खुश थीं। लेकिन क्या पता था कि वो वहां से वापस नहीं लौटेंगी। दोनों मां के साथ ही घर आई थीं, मां के साथ ही चली गईं।”
“एक दिन पहले मामा के घर न जाती, तो मैं भी जिंदा न होती” इटौंजा हादसे में जान गंवाने वाली आयुषी और रुचि की चचेरी बहन जूली भी 26 सितंबर को उनई देवी के दर्शन के लिए जाने वाली थी। लेकिन 1 दिन पहले उसके मामा का फोन आया। उनके घर पर भागवत थी, इसलिए उन्होंने जूली को अपने घर बुला लिया। जूली ने बताया, “अगर मामा के घर न जाती, तो मैं भी उसी ट्रैक्टर पर होती और शायद जिंदा न बचती।”
एक परिवार के 8 लोग ट्रैक्टर पर थे, सभी बचे
टिकौली गांव के पवन गुप्ता के परिवार से 8 लोग हादसे के वक्त ट्रैक्टर-ट्रॉली पर थे। इनमें तीन महिलाएं और पांच बच्चे थे। किसी को कुछ नहीं हुआ। घर की दहलीज पर बैठी सुमन बताती हैं, “जब ट्रॉली पलटी तब सारे बच्चे हाथ से छिटककर पानी में चले गए। लगा कि अब नहीं बचेंगे, लेकिन गांव के लोग भगवान बनकर आए। सभी को बाहर निकाल लिया।”
हर तरफ से आ रही थी सिर्फ रोने की आवाज लखनऊ के इटौंजा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) के इमरजेंसी वार्ड में हर तरफ से रोने की आवाज आ रही थी। ये आवाज उन लोगों की थी जो हादसे में जिंदा बच गए। उनकी सिसकियां अपनों के जाने का दुख बयां कर रही थीं। सोमवार को इटौंजा में ट्रक की टक्कर के बाद ट्रैक्टर-टॉली तालाब में गिर गई थी।
हादसे में सीतापुर जिले के टिकौली गांव के 10 लोगों की मौत हो गई। दैनिक भास्कर की टीम ने अस्पताल में उन लोगों से बात की, जो उस ट्रॉली में बैठे थे और अपनी आंखों के सामने अपने लोगों को मौत के मुंह में जाते हुए देखा।
अर्पित के सामने मां और बहन डूब गईं
इमरजेंसी वार्ड के एक बेड पर 10 साल का अर्पित अपने छोटे भाई आशुतोष और पिता चुन्नीलाल के साथ बैठा था। अर्पित की मां और बहन दोनों की इस हादसे में मौत हो चुकी है। हमने अर्पित से हादसे के बारे में पूछा। अर्पित ने बताया, “मैं और आशुतोष ट्रॉली के पीछे बैठे थे। मम्मी और आयुषी ट्रॉली के आगे वाले हिस्से पर बैठे थे। पीछे से एक ट्रक ट्रैक्टर-ट्रॉली को टक्कर मारते हुए आगे निकल गया। ट्रॉली पलट गई।”
अर्पित ने आगे बताया, “हम छिटक कर तालाब में जा गिरे। मेरे बगल में मेरा भाई पानी में डूबने लगा। मैंने इसका हाथ पकड़कर बाहर निकाल लिया। लेकिन मम्मी और बहन कहीं नहीं दिखीं। वो शायद ट्रॉली के नीचे ही दब गई थी, क्योंकि उनकी कोई आवाज भी नहीं सुन पाए।” इतना बताने के बाद अर्पित शांत हो गया।
लंबी उम्र की कामना करने गई थी, अब वही नहीं रही
चार लोगों को खो चुके चुन्नी लाल कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थे। इसलिए हमने उनसे कोई सवाल भी नहीं पूछा। कुछ देर बाद वह भरी आवाज में कहते हैं, “कोमल लंबी उम्र की प्रार्थना करने पहली बार उनाई देवी मंदिर जा रही थी। लेकिन अब खुद ही सबको छोड़कर चली गई।” कुछ देर चुप होने के बाद कहते हैं, “अगर हादसे का थोड़ा भी अंदेशा होता तो कोमल को जाने ही नहीं दिया होता।” इतना बोल कर चुन्नी फिर से रोने लगते हैं।
चुन्नी लाल के ही भाई राम रतन की पत्नी सुषमा और बेटी रुचि की भी इस हादसे में जान चली गई। राम रतन इस घटना के बाद सदमे में हैं। वह कुछ बोल ही नहीं रहे हैं।
बिटिया को पैर से दूर झटका और खुद डूबती रही
इमरजेंसी वार्ड में सबसे कोने वाले बेड पर सुमन बैठी थीं। तालाब का पानी पेट में चला गया था, इसलिए बार-बार उल्टी कर रही थीं। थोड़ा नॉर्मल हुईं, तो हमने उनसे घटना के बारे में पूछा। सुमन ने बताया, “हम लोग देवी मां का गीत गाते हुए जा रहे थे। तभी अचानक जोर से टक्कर लगी। गोद में खेल रही बेटी और मैं तालाब में जा गिरे। बेटी और मैं डूबने लगे। अचानक मैंने बेटी को पैर से जोर से झटका दिया। बेटी आधी डूब चुकी ट्रैक्टर-ट्रॉली के पहिए पर जाकर गिरी। मैं एक बार पानी के अंदर गई, फिर ऊपर आई…फिर नीचे गई। इसके बाद मुझे कुछ याद नहीं।”
जेहरुद्दीन सबसे पहले भागकर आए और गहरे पानी में कूद गए
गद्दीपुरवा में जब हादसा हुआ, तब सब अपने-अपने काम में बिजी थे। अचानक तेज आवाज आई, तो पूरा गांव तालाब की तरफ भागा। जेहरुद्दीन सबसे पहले तालाब के पास पहुंचे और पानी में छलांग लगा दी। डूब रहे लोगों को बाहर निकालने में लग गए। पहले बच्चों को फिर महिलाओं को निकाला।
जेहरुद्दीन ने कहा, ”हमने करीब 20 लोगों को जिंदा निकाल लिया। बाकी 5 लोगों को जब निकाला, तब उनकी सांसें थम गई थी। कुछ देर बाद पुलिस और SDRF की टीम आई। तब तक लगभग सभी लोगों को हम लोगों ने निकाल लिया था।
लखनऊ के इटौंजा में ट्रैक्टर-ट्रॉली को तेज रफ्तार ट्रक ने ओवरटेक के चक्कर में पीछे से टक्कर मार दी। जिससे ट्रैक्टर-ट्रॉली अनियंत्रित होकर तालाब में पलट गई। ट्रैक्टर-ट्रॉली में ड्राइवर समेत करीब 47 लोग सवार थे। SDRF और पुलिस के रेस्क्यू ऑपरेशन में 36 लोगों को बचा लिया गया था। जबकि 10 लोग की जान नहीं बचाई जा सकी। मरने वालों में 8 महिलाएं और 2 बच्चे हैं।
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