लखनऊ, निवेशकों को आकर्षक योजनाओं के सपने दिखाने वाले शाइन सिटी इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के संचालक राशिद नसीम ने ठगी की योजना पहले ही बना ली थी। लोगों की गाढ़ी कमाई से विदेश में कारोबार खड़ा करने के इरादों को पूरा करने के लिए शातिर राशिद वर्ष 2016-2017 से ही सक्रिय था। इसके लिए उसने तभी से निवेशकों की रकम को विदेश में निवेश करना शुरू कर दिया था।
नेपाल के जरिए दुबई भागा राशिद
राशिद को यह भी पता था कि उसे एक दिन देश छोड़कर भागना है और दुबई को नया ठिकाना बनाना है। इस मकसद को पूरा करने के लिए राशिद ने दो पासपोर्ट हासिल किए थे। सोची-समझी साजिश के तहत राशिद ने वर्ष 2019 में दुबई स्थित इंडियन काउंसलेट आफिस में उसका पासपोर्ट गुम होने की झूठी शिकायत दर्ज कराई और उसके आधार पर दूसरा पासपोर्ट हासिल किया था। जून, 2019 में राशिद जब देश छोड़कर भागा तो वह दिल्ली से बने अपने पासपोर्ट के जरिए नेपाल गया। जांच एजेंसियों को उसकी लोकेशन नेपाल मिली और उसकी घेरेबंदी शुरू की गई। लेकिन, राशिद अपने दूसरे पासपोर्ट का प्रयोग कर बड़ी आसानी से दुबई जा पहुंचा।
दुबई में एंबेसी के जरिए हासिल हुआ था पासपोर्ट
राशिद के पहले पासपोर्ट का नंबर R7498595 है, जो 22 फरवरी 2018 को दिल्ली से जारी हुआ था और उसकी वैद्यता 21 फरवरी 2028 तक है। राशिद ने इस पासपोर्ट में अपना पता पहाड़गंज, दिल्ली दर्ज कराया था। इस पासपोर्ट में उसके लखनऊ से बने पासपोर्ट का ब्योरा भी था, जो अगस्त, 1994 को जारी हुआ था। राशिद ने दुबई भागने के इरादे से झूठी शिकायत के आधार पर अपना दूसरा पासपोर्ट 22 जनवरी, 2019 को हासिल किया था। जिसका नंबर Z4982093 है। सूत्रों का कहना है कि उसे यह पासपोर्ट दुबई में एंबेसी के जरिए हासिल हुआ था। हालांकि इसे लेकर जांच एजेंसियां पड़ताल कर रही हैं। राशिद ने दोनों ही पासपोर्ट में अपनी अलग-अलग तस्वीरों का प्रयोग किया था।
रशीद नसीम पर पाँच लाख रुपए इनाम घोषित था
आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की सिफारिश पर शासन ने राशिद नसीम पर पांच लाख रुपये इनाम घोषित किया था। अब उसे दुबई से भारत लाने की कानूनी कसरत चल रही है। शाइन सिटी के खातों की छानबीन में यह भी सामने आया है कि वर्ष 2016-2017 से ही कई बड़े ट्रांजेक्शन विदेश में किए गए थे। साफ है कि राशिद विदेश में अपनी जड़ें जमाना शुरू कर चुका था और वहां कारोबार के लिए रकम भेज रहा था। उल्लेखनीय है कि शाइन सिटी के नाम पर विभिन्न जिलों में भूखंड व मकान उपलब्ध कराने की आकर्षक योजनाओं का झांसा देकर प्रदेश व अन्य राज्यों के हजारों निवेशकों की गाढ़ी कमाई लूटी गई है। हाई कोर्ट के आदेश पर अब ईओडब्ल्यू, सीरियस फ्राड इनवेस्टीगेशन आफिस (एसएफआइओ) व ईडी तीनों मिलकर मामले की पड़ताल कर रहे हैं।
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