उत्तर प्रदेश के सुपर स्पेशियलिटी वाले संस्थानों में ही 264 विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार की बताई 264 जगहों पर काउंसिलिंग के आधार पर इनकी नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने की इजाजत दे दी है। सेवाकाल में इन चिकित्सकों का पद सहायक प्रोफेसर से कम नहीं होगा। न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने यह फैसला डॉ. अंकित गुप्ता व अन्य डॉक्टरों की याचिका पर दिया।
याची डॉक्टरों का कहना था कि उन्होंने सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा पाठयक्रमों को पढ़ाई पूरी की है। इन कोर्स में दाखिले के वक्त भरवाए गए बांड के तहत वे राज्य चिकित्सा सेवा में सेवाएं देने को तैयार हैं। इसके बावजूद सरकारी अस्पताल व राज्य मेडिकल कॉलेज उनकी शिक्षा के अनुरूप चिह्नित नहीं किए गए हैं। साथ ही सुपर स्पेशियलिटी मानकों पर उनकी सेवाओं का उपयोग करने की सुविधाएं भी निर्धारित नहीं की गई हैं। ऐसे में बांड को इसके उद्देश्य से विपरीत लागू नहीं किया जा सकता है।
इस पर पहले कोर्ट ने मामले में सख्त ताकीद किया था कि सुपर स्पेशियलिटी की पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों के भरवाए गए बांड के तहत उनके प्लेसमेंट का ब्योरा दो हफ्ते में न दिए जाने पर विभागीय अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव को अदालत में पेश होना होगा। गत 10 नवंबर को मामले की सुनवाई के समय चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्रदेश के चिकित्सा विश्वविद्यालयों, राज्य मेडिकल कॉलेजों व सुपर स्पेशियलिटी वाले चिकित्सा संस्थानों में इन डॉक्टरों की सेवाएं लेने को 264 जगहें चिह्नित की गई हैं। इसकी जानकारी संबंधित डॉक्टरों को उनकी 15 व 16 नवंबर को होनेवाली काउंसिलिंग से पहले दे दी जाएगी। याचियों समेत उनके समान अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों को काउंसिलिंग में शामिल किया जाएगा, जिससे बांड भरने का उद्देश्य पूरा हो सके।
प्रमुख सचिव ने यह भी कहा कि सेवाकाल में इन चिकित्सकों का पद सहायक प्रोफेसर से कम नहीं होगा। इस पर कोर्ट ने बताई गईं 264 जगहों पर काउंसिलिंग के आधार पर इनकी नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने की इजाजत दे दी। इसी आदेश के साथ कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी।