माफिया के इशारे पर होता है भर्ती व वसूली का खेल
उरई(जालौन)। बिजली विभाग के मीटर रीडरों के नए-नए कारनामें आए दिन उजागर हो रहे है। अभी तक मीटर रीडर केवल रीडिंग कम दिखाकर व बिल सही कराने का ही ठेका लेते थे। लेकिन अब यह बात पुराने दिनों की हो गई है। अब मीटर रीडरों ने कमाई का नया तरीका खोज लिया है। जिसमें वाई पास लाइन डलवाने से लेकर, मीटर शंट रजिस्टेंश फिट करने जैसे कई काम शामिल है। बताते चलें यह सारा काम एक बड़े माफिया के इशारे पर होता है। इतना ही नहीं इसके लिए सभी का कमीशन भी तय होता है। मीटर रीडरों की रीडिंग बढ़ाने, घटाने का खेल अब पुराने दिनों की बात हो गयी है। मीटर रीडर अब वाई पास लाइन जलवाने का ठेका लेने लगे हैं। इतना ही नहीं खुद ही मीटर में शंट रजिस्टेंश फिट कर, मीटर की गति धीमी करने का भी ठेका ले रहे है। इस बात की भनक जब विभाग के आला अधिकारीयों को लगी, तो इसके लिए फील्ड में उतर कर चैकिंग शुरु की। उनकी जांच में जो खुलासे हुए तो अधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्हें पता चला कि इस पूरे खेल में एक माफिया शामिल है। उसके इशारे पर ही पूरा खेल चल रहा है। मीटर रीडर की नियुक्ति से लेकर उपभोक्ताओं से अवैध वसूली तक का खेल मीटर रीडरों से कराया जा रहा है। जबकि इस सिंडीकेट में विभाग के अंदर व बाहर दोनों जगह के लोग शामिल है। विभागीय लोगों का तो यहां तक मानना है कि मीटर रीडिंग की काम उसे ही दिया जाता है जो उसके सांचे में फिट बैठता है।
माफिया के शागिर्द, गुप्ता ने संभाला रीडरों की नियुक्ति का काम
आखिर वह कौन गुप्ता है, जो पूरे क्षेत्र के मीटर रीडरों की नियुक्त करता है। या यह कहा जाए कि कंपनी के टेंडर के आधार पर मीटर रीडरों की विभाग में सप्लाई करता है। सूत्र बताते है कि उसका कार्यालय अम्बेडकर चौराहे के पास ढाल पर मेरी वेल स्कूल के सामने वाली गली में है। यहीं से पूरा सिंडीकेट चलाया जा रहा है।