योगी सरकार में पंचायती राज्य मंत्री भूपेंद्र चौधरी को यूपी भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। वह पश्चिम यूपी के बड़े जाट नेता हैं। 31 साल से भाजपा से जुडे़ भूपेंद्र चौधरी संघ की भी पसंद हैं। यही नहीं, यूपी के पूर्व संगठन महामंत्री सुनील बसंल के करीबी हैं। एक दिन पहले ही भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की खबर ब्रेक की थी।
भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने 2024 की जीत के लिए यूपी में जाट कार्ड खेल दिया है। मुरादाबाद के रहने वाले MLC भूपेंद्र चौधरी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने का बड़ा कारण वेस्ट यूपी की उन 7 लोकसभा सीटों को जीतना है, जिन्हें 2019 के चुनाव में भाजपा ने गंवा दिया था।
परिवार और कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल
भूपेंद्र चौधरी के नाम का ऐलान होते ही मुरादाबाद में उनके परिवार और जिले के कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है। भूपेंद्र चौधरी के बेटे और मुरादाबाद भाजपा युवा मोर्चा के महामंत्री शुभम ने कहा,” यह मेरे पिता के लंबे संघर्ष का परिणाम है। पिता की मेहनत को देखते हुए पार्टी ने उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी है।”
भूपेंद्र की पत्नी निशि ने कहा,”यह पद उनकी लंबे समय तक की तपस्या का पुरस्कार है। उन्होंने हमेशा घर-परिवार से अधिक वक्त अपनी पार्टी को दिया है। शुरू के दिनों में जब गांव में किसानी का काम होता था, उस वक्त हम जरूर साथ में रहे। लेकिन बाद में तो उनका ज्यादातर वक्त घर के बाहर ही बीतने लगा।”
1-वेस्ट यूपी में बड़ा जाट दांव, नजर 2024 पर
भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने यूपी में जाट कार्ड खेल दिया है। मुरादाबाद के जाट नेता और MLC भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष बनाने का बड़ा कारण वेस्ट यूपी की वो 7 लोकसभा सीटों को जीतना है, जिन्हें 2019 के चुनाव में भाजपा ने गंवा दिया था। 2019 में जाट समुदाय आरक्षण को लेकर भाजपा से नाराज था।
इस बार जाटों की ये नाराजगी कृषि कानूनों को लेकर है। हाल ही में विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा इसका झटका झेल चुकी है। कृषि कानून वापस लेने के बावजूद किसानों और जाटों का वोट भाजपा से घटा है। उपराष्ट्रपति पद पर जाट चेहरा लाना, अब प्रदेश अध्यक्ष जाट बनाने के पीछे भाजपा का मकसद उस डैमेज को कवर करना है।
2- सतपाल मलिक का विकल्प तैयार करना
पश्चिमी यूपी के जाट नेताओं में मेघालय के गर्वनर सतपाल मलिक की आज भी पकड़ है। वो बागपत के रहने वाले हैं। मलिक अक्सर किसानों के मामले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते रहते हैं। ऐसे में भूपेंद्र के जरिए पश्चिमी यूपी में जाट नेताओं का एक विकल्प खड़ा करना भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की बड़ी प्लानिंग है।
लंबे समय से जाट नेताओं के बीच जाट आंदोलन, जाट सम्मेलन में भूपेंद्र चौधरी भाग लेते रहे हैं। यूपी में जाट आबादी 6 से 8% है। जबकि पश्चिम यूपी में यह 17% के करीब है। 20 से 25 लोकसभा सीटों पर जाट वोट बैंक का सीधा असर है।
3- संगठन और सरकार में अनुभव
1999 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह के खिलाफ चुनाव लड़कर भूपेंद्र चौधरी ने खुद को साबित किया था। संगठन के साथ काम करने का भूपेंद्र चौधरी का अच्छा अनुभव है। जिसका 2024 के लोकसभा चुनाव में फायदा मिलेगा। भूपेंद्र चौधरी कभी विवाद में नहीं रहे हैं। संघ और संगठन भाजपा के साथ भी काम करते रहे हैं।
4- बंसल के करीबी हैं भूपेंद्र
भूपेंद्र चौधरी सुनील संगठन महामंत्री रहे सुनील बंसल के करीबी माने जाते हैं। बंसल और चौधरी प्रदेश भाजपा के संगठन में अपनी पकड़ अभी भी बनाए रखना चाहते हैं। केंद्रीय नेतृत्व भी चाहता है कि सुनील बंसल की जिम्मेदारी में उत्तर प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष कार्य करते रहे। जिससे पुराने किए गए सभी कार्य और समीक्षा का भी फैसला निर्णय तत्कालीन अध्यक्ष ले सके। चौधरी संघ से जुड़े होने की वजह से संगठन में अच्छी पकड़ रखते हैं।
5- सपा-आरएलडी और कांग्रेस का प्लान फेल करना
भूपेंद्र चौधरी किसान जाट परिवार से आते हैं। सपा-आरएलडी और कांग्रेस के पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मजबूत पकड़ को तोड़ने का ये गेम प्लान है। बीते दिनों अखिलेश यादव ने आरएलडी प्रमुख को राज्यसभा भेजकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट, किसान, मुसलमान और यादव की एकता को मजबूत रखने का प्रयास किया था।
मुरादाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा भेजकर कांग्रेस मुसलमान और पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपनी मजबूत पकड़ करना चाहती है। ऐसे में संजीव बालियान केंद्रीय राज्यमंत्री के बाद भूपेंद्र चौधरी को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाकर कद बढ़ाया जा रहा है। इससे जाट और किसानों में भरोसा बनाए रखने में भाजपा कुछ हद तक सफल हो सकती है।
6- सरकार पर “संगठन” का दबाव
17 अगस्त को केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट किया था ‘सरकार से बड़ा संगठन है!’। इसके बाद से उत्तर प्रदेश की सरकार और भाजपा की राजनीति में खलबली मच गई है। राजनीतिक जानकार मानते है कि भूपेंद्र चौधरी को यूपी का अध्यक्ष बनाकर केंद्रीय नेतृत्व सरकार को एक बड़ा संदेश देना चाहता है कि सरकार से संगठन सच में बड़ा है। भूपेंद्र चौधरी की कार्यशैली संगठन की तरफ ज्यादा रही है।
7-त्यागी, किसान गठजोड़ की आशंका
नोएडा में श्रीकांत त्यागी प्रकरण के बाद त्यागी समाज में पहले ही भाजपा को लेकर उबाल है। वेस्ट यूपी के त्यागी अब पार्टी के बजाय बिरादरी को तवज्जो दे रहे हैं। त्यागी महापंचायत में उमड़ी भारी भीड़ में इसका ट्रेलर दिखाया जा चुका है। अधिकांश त्यागी किसान हैं। ऐसे में भाजपा से नाराज त्यागी अगर चुनाव से पहले पार्टी से छिटक गए तो वेस्ट यूपी का किला भेदना भाजपा के लिए टेढ़ी खीर होगी। इसलिए पार्टी जाटों को साधना चाहती है। ताकि त्यागी वोट बैंक जाने से जो भी नुकसान हो, उसकी भरपाई हो सके।
जाट वोट बैंक की भूमिका और अहमियत?
यूपी में जाटों की आबादी 6 से 8% बताई जाती है, जबकि पश्चिमी यूपी में वो 17% से ज्यादा हैं। ऐसी 18 लोकसभा सीटें हैं: सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, बिजनौर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, बुलंदशहर, हाथरस, अलीगढ़, नगीना, फतेहपुर सीकरी, और फिरोजाबाद जहां जाट वोट बैंक चुनावी नतीजों पर सीधा असर डालता है। विधानसभा की बात करें तो 120 सीटें ऐसी हैं जहां जाट वोटबैंक असर रखता है।
लोकसभा सीटों की बात करें तो मथुरा में 40%, बागपत में 30%, सहारनपुर में 20% जाट आबादी है। जाट पारंपरिक तौर पर बीजेपी के वोटर नहीं रहे हैं। यह सूरत 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बदली। इसके बाद हर चुनाव में जाटों ने बीजेपी को वोट दिया। कह सकते हैं कि यह वोट बैंक धीरे-धीरे बीजेपी के पास गया है।
मुरादाबाद के गांव में हुआ था भूपेंद्र चौधरी का जन्म
भूपेंद्र चौधरी का जन्म मुरादाबाद के महेंद्री सिंकदरपुर गांव में साल 1966 में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने मुरादाबाद के आरएन इंटर कॉलेज से 12वीं तक की पढ़ाई की है। इसके बाद वह विश्व हिंदू परिषद यानी VHP से जुड़े। फिर 1989 में भाजपा जॉइन की। उन्हें 10 जून, 2016 को यूपी विधान परिषद का सदस्य चुना गया था।
वह 2012 में भाजपा के पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे हैं। योगी-2.0 में भूपेंद्र चौधरी को यूपी में दूसरी बार मंत्री बनाया गया है। इससे पहले उन्होंने संगठन में लंबे समय तक काम किया है। भूपेंद्र चौधरी 1999 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। उसमें हारने के बाद भी भाजपा ने भूपेंद्र चौधरी पर पूरा भरोसा रखा है।
राजनीतिक सफर
- 1989 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े
- 1990 जिला अध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद मुरादाबाद रहे
- 1994 में कोषाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी मुरादाबाद रहे
- 1995 में महामंत्री भारतीय जनता पार्टी मुरादाबाद रहे
- 1996 से 2000 जिला अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी मुरादाबाद रहे
- 1999 संभल से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी रहे
- 2000-2007 मंडल संयोजक भारतीय जनता पार्टी मुरादाबाद रहे
- 2007-2011 भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रीय मंत्री पश्चिम उत्तर प्रदेश रहे
- 2011-2018 भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रीय अध्यक्ष पश्चिमी उत्तर प्रदेश रहे
- 2016 विधान परिषद सदस्य रहे
- 2017 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार पंचायती राज एवं निर्माण विभाग उत्तर प्रदेश रहे 2019 कैबिनेट मंत्री पंचायती राज विभाग उत्तर प्रदेश सरकार
- 25 मार्च 2022 कैबिनेट मंत्री पंचायती राज विभाग उत्तर प्रदेश रहे
2014 से लेकर अब तक बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष
- डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेई (ब्राह्मण)
- केशव प्रसाद मौर्य (ओबीसी)
- महेंद्र नाथ पांडेय (ब्राह्मण)
- स्वतंत्र देव सिंह (ओबीसी)