अनिल शर्मा + संजय श्रीवास्तव
उरई। जिलाधिकारी चाँदनी सिंह व पुलिस अधीक्षक रवि कुमार ने तहसील माधौगढ़ के ग्राम निनावली जागीर में मोटर बोट से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को बाढ़ राहत पैकेट, पीने का पानी, बिस्कुट, राशन किट आदि वितरित किए। उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच कर ग्रामीणों से वार्ता कर हालचाल जाना। उन्होंने वहां रह रहे लोगों से कहा कि आप लोगों को किसी भी प्रकार से घबराने की जरूरत नहीं है हम आपके लिए तत्पर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि हर परिस्थिति को निपटने के लिए बाढ़ चौकियां तथा प्रशासनिक के अधिकारियों व डाक्टरों आदि को लगाया गया है जिससे किसी भी ग्रामीण को परेशानी का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि माधौगढ़ तहसील के 24 गांव बाढ़ से प्रभावित है ऐसे समस्त गांव को राहत सामग्री उपलब्ध कराई गई है साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संयुक्त रसोई बनाई गई है जिससे किसी को खानपान की कोई समस्या न हो सके इसकी व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जिन घरों में बाढ़ का पानी पहुंचा है उनके लिए राहत शिविर बनाए गए हैं और गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित निकालकर चिकित्सकों की देखरेख में रखा जा रहा है ताकि किसी भी प्रकार की समस्या ना हो सके। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ की टीम निरंतर बाढ़ क्षेत्रों का भ्रमण कर रही हैं तथा बाढ़ से प्रभावित लोगों को रेस्क्यू करके बाढ़ राहत केंद्रों तक पहुंचाने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन व पुलिस बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में निरंतर भ्रमणसील रहकर निगरानी रख रही है जिससे कहीं से भी सूचना आती है तो वह मौके पर पहुंचकर बाढ़ के पानी में फंसे लोगों को राहत शिविरों तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि बाढ़ राहत केंद्रों में बाढ़ पीड़ितों के लिए खाना, नाश्ता, पानी, प्रकाश, दवाई आदि सहित आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित की गई हैं। उन्होंने समस्त जिलाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में निरंतर भ्रमणसील रह कर स्थिति का जायजा लेते रहने तथा बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित करने के निर्देश दिए साथ ही साथ उन्होंने नाव में दवाइयां राशन सहित आवश्यक व्यवस्थाएं निरंतर सुनिश्चित बनाए रखने के भी निर्देश दिए।
बाढ़ अपडेट———-
जनपद जालौन रामपुरा विकास खण्ड के लगभग 20.-30 गांवों में कोटा बैराज से पानी छोड़ जाने से विगत 24 अगस्त 2022 से शुरू हुई भीषण बाढ धीरे-धीरे इस क्षेत्र को अपनी चपेट में लेती जा रही है। कभी सूखे के लिए जाने जाना वाला बुन्देलखण्ड का यह क्षेत्र आज बाढ़ के क्षेत्र में तब्दील होता जा रहा है। पिछली साल के भयाभय मंजर को यहां के लोग अभी पूरी तरह भूल भी नहीं पाये थे कि फिर से बाढ़ ने उनके सामने एक नई चुनौती का सामना करने के लिए मजबूर कर दिया। पचनदा का यह क्षेत्र पांच नदियों का संगम स्थल जिसमें (सिंन्ध, क्वांरी, पहूज, चम्बल एवं यमुना नदियां) के नाम से प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र के लोगों ने सूखे का सामना तो किया था लेकिन बाढ की ऐसी भयानक त्रासदी विगत 100 बर्षो बाद 2021 में देखने को मिली थी और इस बार भी पिछले वर्ष कैसे ही हालात पैदा हो गये हैं। वैसे तो परमार्थ की टीम 23 अगस्त से ही इस क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने एवं यहां के लोगों की मदद के लिए तत्पर है लेकिन आज दिनांक 26 अगस्त 2022 परमार्थ के निदेशक श्री अनिल सिंह ने मौके पर जाकर बाढ़ की स्थिति नजदीक से जायजा लिया तथा लोगों से भी बात की और उनको बताया कि परमार्थ संस्था इस संकट में हमेशा आपके साथ है। संस्था द्वारा हर संभव आप लोगों की मदद की जायेगी।
इस आपदा की विभीषका के बाद स्थानीय समुदाय के सामनें अपनी आजीविका चलाने के लिए निम्नलिखित चुनौतियों एवं समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जो प्रमुख रूप से निम्न हैं-
1. समुदाय के सामने आवास की समस्या सबसे बडी एवं महत्वपूर्ण समस्या है ऐसी स्थिति में लोगों को आज भी रैनबसेरा, पचायत भवन एवं विद्यालयों में रूकना पड रहा है जहां पर किसी भी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। सबसे ज्यादा समस्या महिलाओं के शौच की है। बाढ के कारण व्यक्तिगत स्वच्छता एवं पर्यावरणीय स्वच्छता सम्बन्धी बहुत सी समस्याए हंै।
2. जानवरों के लिए भूसा एवं चारा एकत्रित करना एक बडी चुनौती है इसके लिए समुदाय स्थानीय प्रशासन से निरन्तर गुहार लगा रहा है।
3. खरीफ की फसल पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है अब किसानों के सामने आगामी रबी की फसल के लिए बीज, खाद एवं कृषि की अन्य लागतों के लिए दूसरों के ऊपर निर्भर रहना पडेगा। स्थानीय साहूकार इस आपदा को अवसर के रूप में देख रहे हैं।
4. बाढ के कारण व्यक्तिगत स्वच्छता एवं पर्यावरणीय स्वच्छता सम्बन्धी बहुत सी समस्याए है जिसके कारण लोगों को बहुत सी बीमारियों एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड सकता है।
5. लोगो को अपनी आजीविका चलाने के लिए पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में प्रशासन को प्रभावित परिवारों को प्राथमिकता के साथ रोजगार परक कार्यक्रमों को सुचारू रूप से चलाए जाने की आवश्यकता है।
6. आगामी समय में इस तरह की मानवीय भूल के कारण उत्पन्न ऐसी भीषण त्रासदी फिर से न हो इसके लिए राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश तथा केन्द्र सरकार को प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है इसके लिए समुदाय को लंबी लडाई लडने के संगठित प्रयास तथा अदालत का सहारा लेना पडेगा।
7. इस क्षेत्र की बाढ तथा सूखा की समस्या के स्थायी समाधान के लिए प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबन्धन पर सुचारू रूप से समयबद्ध कार्यक्रम चलाए जाने की महती आवश्यकता है।
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