नोएडा का सुपरटेक ट्विन टावर अब इतिहास हो चुका है। रविवार दोपहर ठीक 2.31 बजे दोनों टावर ढहा दिए गए। पहले 12 सेकंड में टावर ध्वस्त होने का अनुमान था। हालांकि, 100 मीटर ऊंचे टावर महज 6 सेकंड में जमींदोज हो गए। पहले सियान, फिर एपेक्स में विस्फोट हुआ।
ब्लास्ट के दौरान करीब 500 मीटर दूर स्थित JP फ्लाईओवर भी हिल गया। इस पर सारे अफसर और मीडियाकर्मी मौजूद थे, जो कंपन से सहम गए। दोनों टावर के सटी ATS सोसाइटी की बाउंड्रीवाल गिर गई है। एक अन्य दीवार में 10 मीटर लंबी दरार आई है। कुछ मलबा ATS सोसाइटी के सामने सड़क पर आ गया है।
दोनों टावर में 3500 किलो बारूद लगाए गए थे
दोनों टावर में 3500 किलो बारूद 10000 प्वाइंट्स पर लगाए गए थे। पहले दोनों टावर के बेसमेंट में ब्लास्ट हुआ। आखिर में 30वीं मंजिल पर। ब्लास्ट इस तरह से हुए कि झरने की तरह यह टावर जहां था, वहीं ढह गया। करीब 500 मीटर तक धुल का गुबार उठा। ब्लास्ट के तुरंत बाद इलाके में पानी की बौछारे की गई, ताकि धूल जम जाए। दोनों टावर ध्वस्त होने से 30 फीट ऊंचा मलबा जमा हो गया। इस मलबे को 90 दिन के अंदर हटाया जाएगा। मलबे को साफ करने का काम आज से ही शुरू कर दिया गया है।
सीएम ऑफिस से ट्विन टावर भ्रष्टाचार से जुडे़ 26 अफसरों की लिस्ट जारी
सीएम योगी ने ट्विन टावर भ्रष्टाचार में शामिल 26 अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। बकायदा इसकी लिस्ट सीएम ऑफिस से जारी हो गई है। यह वो अधिकारी हैं जब टावर बन रहा था, तब किसी न किसी पद पर नोएडा अथॉरिटी में तैनात थे। इनके संरक्षण में ही इस इमारत को 15 मंजिल से 32 मंजिल का बनाया गया था।
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने कहा कि ट्विन टावर निर्माण से जुड़े दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। 2006 से बनाए जा रहे ट्विन टावर तत्कालीन सीओ महिंद्र मोदी नोएडा में तैनात थे। इसके बाद तैनात पांच सीईओ के नाम भी सूची में है। मुख्यमंत्री ऑफिस से जारी इन सूची में जिन 26 अफसरों के नाम हैं। वह सभी रिटायर्ड हो चुके हैं।
जिनता नुकसान का अनुमान था, उतना हुआ: प्रोजेक्ट मैनेजर दोनों टावर को गिराने का जिम्मेदारी एडीफिस कंपनी को मिली थी। इस प्रोजेक्ट के मैनेजर मयूर मेहता बताते हैं कि हमनें जितना अनुमानित नुकसान माना था, उतना ही हुआ है। सुपरटेक एमरोल्ड और ATS सोसाइटी के बीच 200 मीटर की दीवार थी। इसका करीब 10 मीटर का हिस्सा टूट गया है। ATS के कुछ फ्लैट्स के शीशे भी टूटे हैं। बाकी सोसाइटी में नुकसान का हम आंकलन कर रहे हैं।
ध्वस्त हुए टावर के पास जाने की किसी की अभी किसी को इजाजत नहीं है। ध्वस्तीकरण करने वाली कंपनी जेट डिमोलिस और एडीफिस पहले निरीक्षण करेंगी। एक-एक चीज चेक करेगी। कंपनी के क्लीयरेंस के बाद ही कोई अधिकारी या अन्य व्यक्ति वहां पर जा सकेगा।
टावर गिरने के बाद प्रशासन के क्लीयरेंस तक 5 रास्तों पर ट्रैफिक की आवाजाही रोकी गई है। ब्लास्ट के बाद इलाके में पॉल्यूशन लेवल मॉनिटर करने के लिए स्पेशल डस्ट मशीन लगाई गई हैं।
ट्विन टावर पर पॉलिटिक्स भी हुई
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने ट्वीट किया कि नोएडा का सुपरटेक ट्विन टॉवर सपा के भ्रष्टाचार और अराजकता की नीति का जीवंत प्रमाण है। इसके बाद सपा के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने ट्वीट पर पलटवार किया कि भ्रष्टाचार करने वालों को चारों ओर भ्रष्टाचार ही दिखता है।
घरों में रहने की सलाह दी गई
यहां CBRI ने 10 ब्लैक बॉक्स लगाए हैं। इसमें वाइब्रेशन रिकॉर्ड हुआ है। ट्विन टावर के पास की सोसाइटी में रहने वालों को 10 घंटे घर में रहने की सलाह दी गई है। 3 सोसाइटी में रसोई गैस और बिजली सप्लाई को रोका गया है। जिसे दोपहर 3 बजे के बाद दोबारा शुरू किया गया।
एक्सप्रेस-वे को बंद रखा, NDRF ने संभाला था मोर्चा
560 पुलिस कर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 लोग, 4 क्विक रिस्पॉन्स टीम और NDRF की टीम तैनात की गई थी। ट्रैफिक डायवर्जन प्वाइंट्स एक्टिव हैं। विस्फोट से ठीक पहले दोपहर करीब 2.15 बजे एक्सप्रेस-वे को बंद किया गया था। इंस्टेंट कमांड सेंटर में 7 CCTV कैमरों की मदद से निगरानी की गई।
सुपरटेक एमरोल्ड और आसपास रेजिडेंशियल एरिया से करीब 300 पालतू पैट्स को यहां से सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। आवारा कुत्ते–बिल्लियों के लिए प्रशासन ने कई NGO की मदद ली है। यहां से करीब 40 आवारा कुत्ते और बिल्ली को रेस्क्यू किया है।
200 करोड़ में बने टावर, 17 करोड़ में गिराए जा रहे
दोनों टावर को बनाने में 200 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। अब इन्हें गिराने का ठेका कुल 17 करोड़ में दिया गया है। जिसमें 5 करोड़ सुपरटेक ने मुंबई की एडिफाइस इंजीनियरिंग को दिए हैं। 80 हजार मीट्रिक टन मलबे में 4 हजार मिट्रिक टन सरिया निकलने की उम्मीद है। इससे 13 करोड़ रुपए मिलने वाले हैं।
साइंटिफिक तरीके से खत्म होगा 28 हजार मीट्रिक टन मलबा
- करीब 80 हजार मीट्रिक टन मलबा निकलने का अनुमान है
- सेक्टर-80 के सीएंडडी वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट 28 हजार मीट्रिक टन मलबा पहुंचाया जाएगा।
- यहां साइंटिफिक तरीके से मलबा का डिस्पोजल होगा।
- रोजाना 25 गाड़ियां मलबा लेकर वेस्ट प्लांट जाएंगी।
- बाकी मलबा से बेसमेंट को भर दिया जाएगा।
- 90 दिनों की डेडलाइन इस डिस्पोजल के लिए तय की गई है।