यंग भारत ब्यूरो
काशीपुर: भारतीय समाज में वैसे तो अनेक परंपराएं और रीति-रिवाज प्रचलित हैं, लेकिन अनेक बार इस के किस्से देखने और सुनने को मिलते हैं। जो रूढ़ियों को तोड़ते हुए नई सृजन की तरफ समाज को लेकर बढ़ती है।
ऐसा ही एक किस्सा हुआ है काशीपुर में रहने वाले दुष्यंत चौधरी और मुजफ्फरनगर की रहने वाली सिमरन चौधरी की के विवाह समारोह का। जिसमें सिमरन पुरुष प्रधान परम्पराओं को पीछे छोड़ते हुए घोड़ी पर सवार होकर अपने मंडप में पहुंचकर नया संदेश देने का काम किया।
दुबई में एक कंपनी में नौकरी करती हैं सिमरन
उत्तराखंड के काशीपुर में रहने वाले केपी सिंह के पुत्र दुष्यंत चौधरी का विवाह मूल रूप से पड़ोसी राज्य उत्तर-प्रदेश के मुजफ्फरनगर के खतौली भैंसी गांव रहने वाले तथा वर्तमान में खतौली की जगत कॉलोनी में रहने वाले कृषक पिंटू चौधरी की इकलौती बेटी सिमरन चौधरी के साथ तय हुआ था। दुष्यंत पेशे से पेट्रोलियम इंजीनियर हैं, जबकि बीटेक कर चुकी सिमरन वर्तमान में दुबई में एक कंपनी में नौकरी करती हैं।
रिश्तेदारों ने बैंड बाजे के साथ जमकर किया डांस
सिमरन के फूफा प्रदीप धामा ने बताया कि सिमरन ने अपने दीदी और जीजा से प्रेरणा लेते हुए तथा परिवार की सहमति से यह सब किया।
प्रदीप धामा ने बताया कि सिमरन की बीते 27 नवंबर को मुजफ्फरनगर के खतौली में जगत कॉलोनी स्थित निवास पर घुड़चढ़ी हुई, जिसमें वह बग्गी पर सवार हुई और परिजन तथा सब रिश्तेदारों ने इस दौरान बैंड बाजे के साथ जमकर डांस किया।
इस दौरान 25 वर्षीय सिमरन ने खुद को दूल्हे से कम नहीं आका और बारात में राजशाही अंदाज में एंट्री ली। बग्गी पर सवार सिमरन ने दूल्हे की तरह सज धज कर पगड़ी पहनी और अपने परिवार व दोस्तों के साथ शादी की रस्म के लिए चली गई।
इसके बाद 28 नवंबर को काशीपुर से केपी सिंह अपने बेटे दुष्यंत चौधरी को अन्य परिजनों तथा संगी साथियों के साथ खतौली पहुंचे। जहां खतौली के हवेली बैंकट हॉल में वैवाहिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा सिमरन की घुड़चढ़ी का वीडियो
29 नवंबर को सिमरन की विदाई हुई और वह काशीपुर आई तथा काशीपुर में 30 नवंबर को जसपुर रोड स्थित पवार रिजॉर्ट में प्रीतिभोज का आयोजन किया गया। सिमरन की घुड़चढ़ी का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
सिमरन के फूफा प्रदीप धामा ने बताया कि समाज में एक संदेश देने के मकसद से यह सब किया गया है। क्योंकि, समाज में शादी की सभी रस्में लड़के और लड़की दोनों तरफ निभाई जाती हैं, जबकि घुड़चढ़ी की रस्म केवल वर पक्ष के द्वारा लड़के को घोड़ी पर बैठा कर निभाई जाती है।
समाज में लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों से कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करती हैं। इसीलिए इस परंपरा में भी लड़की को लड़के के बराबर तवज्जों देते हुए इस परंपरा का आयोजन किया गया।
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