रामपुर: आकाश सक्सेना हनी ने आजम खान का खेल बिगाड़ दिया है। रामपुर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने आजम खान के उम्मीदवार मोहम्मद असिम रजा को हरा दिया है। यह सीट काफी उलटफेर वाले परिणामों के रूप में दिनभर चर्चा में रही पहले दो चरणों में भाजपा के आकाश सक्सेना आगे बढ़ते दिखे। तीसरे चरण में असिम रजा ने बढ़त बना ली। इसके बाद 19वें चरण तक असिम रजा ने बढ़त बनाए रखी। हालांकि, मुकाबला कांटे का दिख रहा था। बढ़त बड़ी नहीं होती दिख रही थी। 20वें राउंड में आकाश सक्सेना ने कुछ बढ़त बनाई। इसके बाद उनकी बढ़त का आंकड़ा बढ़ता चला गया। असिम रजा एक बार फिर चुनावी मैदान में पिछड़ते चले गए। आजम खान ने इससे पहले उन्हें रामपुर लोकसभा उप चुनाव के मैदान में उतारा था। वहां भाजपा के घनश्याम लोधी के हाथों उन्हें हार झेलनी पड़ी थी। अब एक बार फिर उनको हार का सामना करना पड़ा है। 23वें राउंड के वोटों की गिनती के दौरान ही असिम राजा मतदान केंद्र से बाहर निकलते देखे गए। माना गया कि उन्होंने हार मान ली है। हालांकि, उनके समर्थक मतगणना केंद्र पर जमे हुए रहे। जीत की स्थिति को देखते हुए आकाश सक्सेना ने आजम खान पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आजम ने रामपुर को बंधक बना रखा था। रामपुर आजम के उन बंधनों से आजाद हो रहा है।
आजम खान का इस विधानसभा सीट पर दबदबा देखिए। वर्ष 1980 के बाद से हुए चुनाव में आजम की इस सीट पर लगातार वर्चस्व देखा गया। 1996 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो 10 बार इस सीट पर आजम खान जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। रामपुर शहर से चुनकर विधानसभा पहुंचे, लेकिन आकाश सक्सेना ने पहले उन्हें कानूनी लडाई में हराया। अब चुनावी लड़ाई में उन्हें मात दे दी है। रामपुर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार आकाश सक्सेना हनी ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मोहम्मद आसिम राजा को 34,136 वोटों के बड़े अंतर से हराया है। 19 राउंड के वोटों की गिनती के दौरान बिछड़ने के बाद आकाश सक्सेना ने बढ़त बनाई तो वह लगातार बड़ी होती चली गई। रामपुर में आजम का किला ढह गया। सभी 34 राउंड की गिनती के बाद आकाश सक्सेना 81,371 वोट हासिल करने में कामयाब रहे। वहीं, मोहम्मद आसिम रजा को 47,271 वोट मिले। सुभासपा ओम प्रकाश राजभर के उम्मीदवार जय वीर सिंह महज 168 वोट हासिल करने में कामयाब रहे।
आजम के लिए महत्वपूर्ण था रण
रामपुर विधानसभा सीट पर चुनाव काफी महत्वपूर्ण था। इसलिए भी कि यहां पर आजम खान की चार दशक पुरानी विरासत को बचाए रखने की चुनौती थी। इस बार आजम परिवार का कोई सदस्य रामपुर शहर विधानसभा सीट से उम्मीदवार नहीं था। रामपुर में माना जाता रहा है कि जब भी आजम परिवार चुनावी मैदान से बाहर होता है, बढ़त सामने वाले दल की होती है। हालांकि, आजम खान ने बीमारी के बाद भी लगातार रामपुर के चुनावी मैदान में अपनी दखल दिखाई। लोगों के बीच पहुंचे। अपनी बात रखी। भावनात्मक रूप से जुड़ने की कोशिश की। उम्मीदवार को जिताने के लिए वोट मांगे। लोगों का सहयोग मांगा। गुस्साए और भावुक भी हुए। असर वोटों के रूप में सामने आया। रामपुर में पुलिस की अधिकता और कम वोटिंग का अंदेशा जताया। इस बार कम वोटिंग भी हुई। इसका परिणाम अब सामने आया है। आजम के प्रभाव वाले इलाकों में भले ही आकाश सक्सेना पिछड़े, लेकिन इतना नहीं कि रिकवर न कर पाएं। रिकवरी की। जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल की। कानूनी लड़ाई के जरिए पहले बेटे अब्दुल्ला आजम और फिर आजम खान की विधायकी समाप्त कराने वाले आकाश सक्सेना अब रामपुर शहर के विधायक हो गए हैं।
क्या होगा आगे आजम का भविष्य?
रामपुर शहर सीट पर आजम खान का किला ढहने के बाद एक ही सवाल किया जा रहा है कि अब आगे क्या होगा? आजम खान का भविष्य क्या होगा। भले सपा ने मैनपुरी में जीत हासिल की हो। खतौली जीत गई हो, लेकिन रामपुर की हार को अलग ही असर होगा। मुस्लिम मतदाताओं के प्रभाव वाले इलाके में सपा के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे को हार से अखिलेश यादव की आगे की चुनौती बढ़ेगी। वहीं, सवाल आजम खान के भविष्य पर भी खड़ा हो गया है। एमपी- एमएलए कोर्ट की ओर से हेट स्पीच केस में तीन साल की सजा के बाद उन पर छह साल चुनाव लड़ने का प्रतिबंध लग गया है। चुनावी मैदान में उतर कर पार्टी के लिए वोट मांगने का अधिकार होने की दुहाई आजम जरूर देते रहे। लेकिन, अब पार्टी उन्हें लेकर कितनी दूर चलेगी, देखना दिलचस्प होगा। रामपुर शहर सीट पर आजम खान के भविष्य का फैसला होना था। लोगों ने अपने नेता को इस बार खारिज कर दिया।
आजम खान रामपुर सीट पर चार दशक से अपना दबदबा बनाए हुए थे। इस सीट पर उनकी पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे खुद नहीं तो उनके परिजन ही यहां से जीतकर दर्ज करते रहे हैं। एमपी एमएलए कोर्ट की ओर से पिछले दिनों फैसला आया। यूपी चुनाव 2022 में रामपुर से 10वीं बार विधायक बने आजम खान 3 साल की सजा भुगतने को बाध्य हुए। हेट स्पीच केस में सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधायकी चली गई। 6 सालों के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग गया। इसके बाद उन्होंने अपने अजीज असिम मिर्जा को चुनावी मैदान में उतारा। असिम मिर्जा एक बार फिर आजम की उम्मीदों को तोड़ गए।
पार्टी पर भी कमजोर होगी पकड़
रामपुर विधानसभा चुनाव को आजम खान ने अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया था। यह उनके कैरियर का भी सवाल था। रामपुर में अपनी स्थिति को मजबूत करने का भी। समाजवादी पार्टी के भीतर इस जीत के बाद आजम खान की स्थिति कमजोर होगी। पहले ही लगभग साफ हो चुका है, वे चुनावी मैदान में नहीं उतर सकते हैं। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सीनियर नेताओं की उपेक्षा अखिलेश यादव अब नहीं कर रहे हैं। शिवपाल यादव को साथ जोड़कर उन्होंने इस संबंध में स्थिति साफ कर दी है। मैनपुरी का परिणाम आते ही उन्होंने शिवपाल को पार्टी का झंडा पकड़ा दिया। आजम खान के समर्थन में उन्होंने चुनावी मैदान में भी कई बातें कहीं हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अखिलेश यादव की भविष्य की राजनीति के लिए आजम खान को हथियार बना सकते हैं। हालांकि, आजम के जरिए एक बड़े वोट बैंक को अपने साथ जोड़े रखने की रणनीति पर अब अखिलेश जरूर विचार करेंगे। आजम इस चीज को समझते थे। उन्हें पता था कि अगर रामपुर कारण हारे तो केवल विधानसभा सीट पर ही नहीं, समाजवादी पार्टी में भी पकड़ कमजोर हो जाएगी। अब स्थिति उनके खिलाफ ही होगी होगी।
आजम ने दी थी पहले आकाश को शिकस्त
रामपुर के चुनावी मैदान में आकाश सक्सेना दूसरी बार उतरे थे। यूपी चुनाव 2022 के दौरान भी भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया था। उस चुनाव में आजम खान ने दसवीं बार इस सीट से जीत हासिल की। आकाश सक्सेना को 55,141 वोटों से हार झेलनी पड़ी थी। हालांकि, बाद में कोर्ट के कानूनी मैदान में आकाश सक्सेना ने आजम खान को शिकस्त दी। 2019 के हेट स्पीच केस में आजम खान को 3 साल की सजा हुई। विधायक की गई। उप चुनाव हुआ। इसमें एक बार फिर भाजपा ने आकाश सक्सेना को उम्मीदवार बनाया। वहीं, आजम खान ने असिम रजा पर भरोसा जताया और वह भरोसा पर खड़े उतरे। वर्ष 2022 के यूपी चुनाव में सात उम्मीदवारों ने रामपुर शहर से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाई थी। इसमें से पांच उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। आजम खान 1,31,225 वोट हासिल करने में कामयाब हुए थे। वहीं, दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के आकाश सक्सेना को 76,084 वोट मिला था। आजम खान को 59.71 फीसदी और आकाश सक्सेना को 34.62 फीसदी वोट शेयर मिला था। अन्य उम्मीदवारों को 5000 भी वोट नहीं मिल पाया था।
लोकसभा उप चुनाव हारे थे असिम
असीम मिर्जा इससे पहले रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़कर हार चुके हैं। वे भाजपा के घनश्याम लोधी से हार गए थे। आजम खान ने एक बार फिर उन पर ही भरोसा दिखाया। उन्हें आजम के सबसे करीबी नेताओं में माना जाता है। ऐसे में अपने पसंदीदा असिम मिर्जा को तमाम विरोधों के बाद भी चुनावी मैदान में उतार कर जीत दिलाने में तंजीन फात्मा भी चुनावी मैदान में उतरीं। पुलिस पर दबिश बढ़ाने और मतदाताओं को धमकाने का आरोप लगाया। सपा उम्मीदवार के लिए वोट मांगे। असिम रजा के पक्ष में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने भी प्रचार किया। लेकिन, एक बार फिर वे चुनावी मैदान में कड़ी टक्कर के बाद भी जीत दर्ज कर पाने में कामयाब नहीं हुए।
रामपुर विधानसभा उप चुनाव का परिणाम:
उम्मीदवार का नाम |
पार्टी का नाम |
कुल वोट |
आकाश सक्सेना |
भारतीय जनता पार्टी |
81,371 |
मोहम्मद असिम रजा |
समाजवादी पार्टी |
47,271 |
जयवीर सिंह |
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी |
168 |
शिव प्रसाद |
बहुजन आंदोलन पार्टी |
87 |
इम्तियाज उर रहमान खान |
निर्दलीय |
335 |
मोहम्मद इरफान खान |
निर्दलीय |
116 |
जुनैद खान |
निर्दलीय |
244 |
मोइन खान |
निर्दलीय |
202 |
राजेंदर सिंह |
निर्दलीय |
213 |
संदीप सिंह |
निर्दलीय |
384 |
नोटा |
—- |
725 |