सर्दी की दस्तक के साथ श्रीरामजन्मभूमि पर बाल रूप में विराजमान भगवान रामलला की सेवा एक छोटे से बालक की तरह शुरू हो गई है। रामलला को किसी भी तरह ठंड न लग सके,इसका हर तरह स ध्यान रखाा जा रहा है। ब्लोअर की गर्म हवा के साथ उन्हें रात में शयन आरती और भोग के बाद रजाई ओढ़ाई जा रही है।
आरती के बाद रबड़ी दे रहे, मखमली वस्त्र पहन रहे
रामलला को सुबह की आरती के बाद दूध की बनी रबड़ी का भोग लगाया जा रहा है। उन्हें ऊनी और मखमली वस्त्र पहनाए जा रहे हैं और गुनगुने जल से स्नान कराया जा रहा है। रामलला को भोग में भी ऐसी वस्तुएं दी जा रहीं हैं जिनकी तासीर गर्म हो और वे बाल रूप में विराजमान भगवान को ठंडक से बचाने में सहायक हों।
दूध की खीर, देशी घी के हलवा का भोग
रामलला के सहायक पुजारी संतोष तिवारी ने बताया कि रामलला को दोपहर और शाम की आरती के बाद दूध की खीर, देसी घी के हलवा का भोग लगाकर प्रसाद भक्तों में वितरित किया जाता है। इसके अलावा पूड़ी, सब्जी, चावल, दाल का भोग लग रहा है। अब रामलला को तिल से बने लड्डू का भोग भी लगाया जाएगा।
राम कचहरी मंदिर के ट्रस्ट कार्यालय से आरती और भोग के लिए विशेष पास
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार सुबह 6:30 बजे जागरण आरती में शामिल होने के लिए अधिकतम 30 भक्तों को प्रवेश पत्र दिए जा रहे हैं। ये प्रवेश पत्र मोहल्ला रामकोट स्थित राम कचहरी मंदिर में “श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ” के कैंप कार्यालय से जारी होंगे। पुलिस की सुरक्षा जांच के बाद लिया जा सकता है।
रामलला के दर्शन सुबह 7 बजे से 11.30 बजे तक होंगे
उन्होंने बताया कि भक्त सुबह 7 बजे से दर्शन के लिए प्रवेश कर सकते हैं। जोकि 11:30 बजे दोपहर तक जारी रहेगा। भोग आरती दोपहर 12:00 बजे होती है। भगवान की विश्राम अवधि दिन में 12:30 बजे से दोपहर 2 बजे तक है।
दर्शन के लिए प्रवेश अब शाम 7 बजे तक
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार रामलला के दर्शन के लिए भक्त दूसरी पाली में दोपहर 2 बजे से दर्शन के लिए पहले की तरह प्रवेश कर सकेंगे। यह प्रवेश अब शाम 7 बजे तक होगा। भोग आरती में शाम को अधिकतम 60 व्यक्ति प्रवेशपत्र के साथ उपस्थित रह सकेंगे। भोग आरती शाम 7:30 बजे होगी।
दिन में भी भगवान को शाल ओढ़ाया जा रहा है
इसके साथ ही अयोध्या के अन्य मंदिरों में कनक भवन, श्रीरामवल्लभाकुंज, रंग महल, दशरथ महल, लक्ष्मण किला, मणिराम दास छावनी, सियाराम किला, जानकी महल ट्रस्ट और हनुमत निवास आदि में भी भगवान की सेवा मौसम के अनुसार बदल गई है। इन मंदिरों में दिन में भी भगवान को शाल ओढ़ाया जा रहा है। फूलों की जगह कृत्रिम हार पहनाए जा रहे हैं
श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख स्वामी राजकुमार दास ने बताया कि भगवान को ठंडक न लगे, इसके लिए केसर युक्त दूध, रबड़ी मलाई, देशी गुड़,तिल के लड्डू और अनेक प्रकार की पकौड़ी आदि का भोग लगाया जा रहा है। उन्हें ठंडक से बचाने के लिए फूलों की जगह कृत्रिम हार पहनाए जा रहे हैं।
स्थापना के बाद मूर्ति में प्राण का संचार, सेवा मनुष्य की तरह
उन्होंने बताया कि भगवान की मूर्ति की स्थापना के बाद उनमें प्राण का संचार हो जाता है। जिसके बाद उनकी सेवा एक मनुष्य की तरह से होती है। अपने भाव के अनुसार भक्त थोड़ा-बहुत परिवर्तन भी कर लेते हैं। मगर हर मंदिर के संस्थापक आचार्य के बनाए नियम अथवा परंपरा का पालन उस मंदिर के महंत अथवा पुजारी को करना होता है।
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