लखनऊ। राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे अभिभावकों की जेब पर अगले शैक्षिक सत्र से बोझ बढ़ जाएगा। शुक्रवार को अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने बैठक कर नर्सरी से 12वीं तक की फीस में 12 प्रतिशत तक का इजाफा करने का फैसला लिया। स्कूल अपने हिसाब से इस सीमा तक फीस बढ़ा सकते हैं।
एसोसिएशन के अनुसार उत्तर प्रदेश शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 के तय फॉर्मूले के अनुसार ही फीस वृद्धि की जा रही है। इसमें निजी स्कूलों में वार्षिक कंपोजिट फीस में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) का औसत और पांच प्रतिशत फीस वृद्धि को जोड़कर शुल्क बढ़ाया जा सकता है। इस शैक्षिक सत्र के लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से सीपीआई का औसत 6.69 प्रतिशत है। अधिनियम के अनुसार इसमें पांच प्रतिशत जोड़कर 11.69 प्रतिशत तक फीस बढ़ाई जा सकती है।
अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के तहत 250 स्कूल हैं। इसके अलावा जिले में प्राइवेट स्कूलों की संख्या एक हजार के करीब है। इनमें चार से पांच लाख के करीब बच्चे पढ़ते हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि अधिनियम के फॉर्मूले के अनुसार ही फीस पर निर्णय लिया गया है। इस दौरान सीएमएस संस्थापक जगदीश गांधी, एसोसिएशन सचिव माला मेहरा, कोषाध्यक्ष रचित मानस, प्रवक्ता ख्वाजा सैफी यूनुस आदि उपस्थित रहे।
कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद बढ़ाई थी फीस
वर्ष 2020 में कोरोना काल के चलते शासन ने फीस वृद्धि पर रोक लगाई थी, जो 2021 तक जारी रही। वर्ष 2022 में निजी स्कूलों के संगठन ने कोर्ट का रुख किया। इसके बाद वर्तमान शैक्षिक सत्र में फीस में नौ प्रतिशत का इजाफा हुआ। अगले साल से इसमें 12 प्रतिशत तक वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है। बैठक में अंतरजनपदीय साहित्यिक व खेल प्रतियोगिता कराने का भी निर्णय लिया गया। इसमें एसोसिएशन से संबद्ध विद्यालयों के बच्चे प्रतिभा दिखाएंगे।
अभिभावक कल्याण संघ के प्रदीप कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि उत्तर प्रदेश शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 में प्रावधान है कि फीस तभी बढ़ेगी जब डीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी उस पर सहमति देगी। एसोसिएशन ने फीस बढ़ाने की अनुमति किससे ली है? बिना अनुमति फीस बढ़ाना सही नहीं है। इसकी जांच होनी चाहिए। डीएम सूर्यपाल गंगवार ने कहा कि अधिनियम के मुताबिक स्कूल संचालकों की एसोसिएशन फीस बढ़ाने पर फैसला ले सकती है। अगर बढ़ोतरी इससे अधिक प्रस्तावित है तो फैसला लेने के लिए बनाई कमेटी की बैठक में इसे चर्चा के लिए रखना होगा। इसके सदस्यों की अनुमति के बाद ही फीस अधिनियम में दिए निर्देश से अधिक बढ़ाई जा सकती है। बढ़ाई फीस पर किसी को आपत्ति है तो वह कमेटी या डीआईओएस से शिकायत कर सकता है।
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