प्रदेश के अस्पतालों में कमी को देखते हुए विशेषज्ञ डॉक्टरों की रिटायरमेंट उम्र 70 साल करने की तैयारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने डीजी हेल्थ से तीन दिनों में इस संबंध में प्रस्ताव मांगा है। फिलहाल रिटायरमेंट उम्र 62 साल है। जानकारी के मुताबिक जब डॉक्टरों की रिटायरमेंट उम्र 62 साल की गई थी तब इसे सविकल्प ही रखा गया था, लेकिन बाद में विकल्प समाप्त करते हुए अनिवार्य कर दिया गया था।
हालांकि, अब शासन की मंशा 60 साल की उम्र में पहुंचने पर डॉक्टरों से विकल्प लेने की है, जिसके तहत उन्हें 65 साल तक नौकरी चुननी होगी। 65 वर्ष का होने पर उन्हें 70 साल तक काम करने का विकल्प दिया जाएगा। स्वास्थ्य महानिदेशालय से प्रस्ताव मिलने के बाद उसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए ले जाया जाएगा।
एक्सपर्ट डॉक्टर तैयार करने पर जोर
वहीं, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी रोकने के लिए रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने पर विचार करने के साथ विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार करने की दिशा में नीति बनाने पर भी काम किया जा रहा है। नीति के संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशक से प्रस्ताव मांगा गया है। साथ ही शासन ने कुछ सुझाव भी दिए हैं। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की काफी कमी है, जबकि औसतन 30 से 40 डॉक्टर हर महीने रिटायर हो रहे हैं। वहीं, तमाम प्रयासों के बावजूद विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती नहीं हो पा रही है। ऐसे में यह आशंका बढ़ गई है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के मसले पर अभी गंभीरता से विचार नहीं किया गया तो दिक्कत और बढ़ सकती हैं।
लिहाजा, फौरी तौर पर मौजूदा संसाधनों को बचाए रखने के लिए डॉक्टरों की रिटायरमेंट की उम्र 70 साल तक किए जाने का प्रस्ताव स्वास्थ्य महानिदेशक से मांगा गया है। साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार करने का प्रस्ताव भी मांगा गया है। शासन ने सुझाया है कि जिलास्तरीय पुरुष और महिला चिकित्सालय को अगर एकीकृत कर लिया जाए और इनमें संयुक्त रूप से निदेशक या अपर निदेशक तैनात कर दिए जाएं तो ये अस्पताल 300-300 बेड के हो जाएंगे। न्यूनतम 300 बेड के अस्पताल होने के बाद पीजी और डीएनबी कोर्सों करवाए जा सकते हैं। इससे जिला स्तर पर विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार किए जा सकते हैं।
सीटें न हों समाप्त
ट्रांसफर या रिटायरमेंट की वजह से कई बार जिला स्तरीय अस्पतालों में डीएनबी कोर्स प्रभावित हो जाते हैं। साल 2022 में भी ऐसा होने से कई अस्पतालों में डीएनबी कोर्स की सीटें खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है। लिहाजा, डीएनबी कोर्सों की सीटें किसी भी सूरत में समाप्त न हों, इसके लिए भी महानिदेशालय से प्रस्ताव मांगा गया है।